3.
(क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है
जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं।
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जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों टोपियाँ न्योछावर होती हैं। उत्तर: जूते को पैर में पहना जाता है और टोपी सिर की शान बढ़ाता है। ... लेखक को लगता है कि प्रेमचंद इस सबसे ऊपर उठ चुके हैं, इसलिए वे पाँव की अँगुली से लोगों की कमजोरियों की ओर इशारा करते हैं।
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लेखक यह कहना चाहता है कि जूता टोपी से महंगा होता है इसलिए एक सामान्य व्यक्ति के लिए जूता खरीदना आसान नहीं होता। एक जूते की कीमत में अनेक टोपियां खरीदी जा सकती है। टोपी तो नई पहनी जा सकती है परंतु जूता नया नहीं लिया जा सकता। जीवन की यह विडंबना है कि जिसका स्थान पांव में है अर्थात नीचे है, वह अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, उसकी कीमत अधिक होती है जबकि सिर पर बिठाने योग्य व्यक्ति को सम्मान कम मिलता है।
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