3. किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब आप निर्दोष थे किंतु आपको झूठा समझा गया। अपनी मन:
स्थिति के विषय में भी लिखिए।
Answers
Explanation:
मैं अपनी ऐसी घटना के बारे में लिखता हूं । जो मेरे साथ हुई है। एक बार मैं और मेरा दोस्त कुछ खेल रहे थे। और हमारी टीम में कुछ और लड़के भी थे। तभी मेरे दोस्त नहीं खुद ही उस बोल को रोका नहीं और मेरे ऊपर झूठा इल्जाम लगा दिया। वह बोला कि यह बोल मैंने नहीं इस ने छोड़ी है। उस दिन मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ था। मैं सबके सामने झूठा साबित हो गया था। तो मैंने उस झूठे दोस्त से अपनी मित्रता तोड़ दी ।
Answer:
वहाँ बड़ा ही आनंद था क्योंकि किसी भी काम की या खाने-पीने की कोई रोक-टोक नहीं थी। रोज शाम को मैं साइकिल चलाने जाता। मुझे तेज व हाथ छोड़कर साइकिल चलाना बहुत अच्छा लगता था। एक दिन शाम को मैंने बहुत तेज साइकिल चलाई जब मुझे बहुत मजा आ रहा था तो मैंने हैंडल से हाथ छोड़ दिए, ऐसा लगा जैसे मन की इच्छा पूरी हो गई।
Find :
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब आप निर्दोष थे किंतु आपको झूठा समझा गया। अपनी मन:
स्थिति के विषय में भी लिखिए।
Given :
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब आप निर्दोष थे किंतु आपको झूठा समझा गया। अपनी मन:
स्थिति के विषय में भी लिखिए।
Explanation:
पिछले दिनों छुट्टियों में मैं अपनी नानी के घर गया। वहाँ बड़ा ही आनंद था क्योंकि किसी भी काम की या खाने-पीने की कोई रोक-टोक नहीं थी। रोज शाम को मैं साइकिल चलाने जाता। मुझे तेज व हाथ छोड़कर साइकिल चलाना बहुत अच्छा लगता था। एक दिन शाम को मैंने बहुत तेज साइकिल चलाई जब मुझे बहुत मजा आ रहा था तो मैंने हैंडल से हाथ छोड़ दिए, ऐसा लगा जैसे मन की इच्छा पूरी हो गई।
अचानक ही मैंने देखा कि सामने हमारे पड़ोसी श्रीमान दीपक आ रहे थे उन्होंने मुझे पहचान लिया और घर जाकर मेरे माता-पिता को बता दिया। अगले दिन ही मेरे माता-पिता नानी के घर आ गए। उन्होंने मुझे खूब डाँटा। बात यहाँ आकर खत्म हुई कि मैं नाना-नानी से डरता नहीं हूँ। मुझे सारा सामान बाँधकर उसी समय घर वापस आना पड़ा।
वहाँ बड़ा ही आनंद था क्योंकि किसी भी काम की या खाने-पीने की कोई रोक-टोक नहीं थी। रोज शाम को मैं साइकिल चलाने जाता। मुझे तेज व हाथ छोड़कर साइकिल चलाना बहुत अच्छा लगता था। एक दिन शाम को मैंने बहुत तेज साइकिल चलाई जब मुझे बहुत मजा आ रहा था तो मैंने हैंडल से हाथ छोड़ दिए, ऐसा लगा जैसे मन की इच्छा पूरी हो गई।
कोई व्यक्ति सच्चाई का कुछ भाग अप्रासंगिक रूप से प्रस्तुत कर सकता है, यह जानते हुए कि पूर्ण जानकारी के बिना, वह एक गलत धारणा पैदा कर सकता है। इसी तरह, कोई व्यक्ति वास्तव में सही तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए भी धोखा दे सकता हैं। एक व्यंग्यात्मक, अप्रसन्न स्वर का उपयोग करके यह कहना कि "हां, यह सही है, मैने सारा वाईट चॉकलेट खुद ही खा लिया" श्रोता को यह मानने पर विवश कर सकता है कि वक्ता निर्दोष है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है।
#SPJ2