3. कुटिल वचन सबते बुरा, जारि करै सब छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।।
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कुटिल वचन सबते बुरा, जारि करै सब छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार।
कबीरदास जी कहते हैं कि,
इस जगत में सबसे बुरे कठोर वचन हैं, ऐसे वचन किसी को न कहिए , यह सारे रिश्तों, संबंधो को जला कर राख कर देते हैं और सज्जन की मीठी वाणी जल के समान है इससे सबके अन्तःकरण को ठंडक मिलती है। ऐसी ही वाणी बोलनी चाहिए।
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