3) क्या अतिथि को देवता मानते हैं ? आपके ऐसा मानने का क्या कारण है ?
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अतिथि देवो भवः
अतिथि देवो भवः का अर्थ होता जब भी हमारे घर या देश में कोई बहार से आता हमें उसका सम्मान और आदर करना चाहिए | अतिथि को हम मेहमान कहते है , और मेहमान भगवान के समान होता है | हमें मेहमानों के साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए | यह हमारे संस्कार बताते है की सब की इज्ज़त ,आदर-सत्कार , और विनम्रता से पेश आना चाहिए | यह भारतीय समाज का एक अहम हिस्सा है। हमें उसके साथ कभी भी गलत तरीके से पेश नहीं आना चाहिए | अतिथि को हमें खान पान का ध्यान रखना चाहिए और उनके रहने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए । भारतीय संस्कृति में अतिथि का दर्जा पूजनीय है और वह देवों के समान है।
ऐसा मानने यह कारण है इंसानियत ,नैतिकता , हमारे संस्कार हमें यह सिखाते है की सब का आदर और सम्मान करना चाहिए | अतिथि देवो भवः , अतिथि को हम मेहमान कहते है, और मेहमान भगवान के समान होता है |
अतिथि देवो भावा :
मैं उसके साथ कभी भी गलत तरीके से पैसा नहीं आना चाहिए अतिथि को हमें खान पीने का ध्यान रखना चाहिए और उनके रहने की व्यवस्था करनी चाहिए भारतीय संस्कृत में अतिथि का दर्जा पूछ लिया है और वह देवों के समान है