3. कबीर सुमिरण सार है, और सकल जंजाल। आदि अंति सब सोधिया, दूजा देखो काल ।। तूं तूं करता तूं भया, मुझ में रही न हूँ। वारी फेरी बलि गई, जित देखौ तित तूं ।
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कबीर सुमिरण सार है, और सकल जंजाल।
आदि अंति सब सोधिया, दूजा देखो काल ।।
कबीरदास जी कहते हैं कि हरि यानी भगवान का नाम का उच्चारण करना ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। भगवान के नाम के अतिरिक्त अन्य सभी उपाय कष्टों के कारण हैं। इस सृष्टि की आदि और अंत सभी को परख लिया गया है, खोज कर ली गई है और सभी दुखों का कारण एक ही है, भगवान के नाम से भटकना। इसलिए ईश्वर की भक्ति और साधना का मार्ग की सबसे सच्चा मार्ग है और भगवान के नाम का सुमिरन स्मरण करना ही सर्वश्रेष्ठ कार्य है।
तूं तूं करता तूं भया, मुझ में रही न हूँ।
वारी फेरी बलि गई, जित देखौ तित तूं ।
कबीरदास जी कहते हैं कि मेरे अंदर अहंकार अभाव समाप्त हो गया है और मैं पूर्ण रुप से आप पर न्योछावर हो गया हूँ और अब मैं जिधर देखता हूं उधर आप ही दिखाई देते हैं अतः मेरे लिए अब सारा जगत ब्रह्मा के समान हो गया है।