Hindi, asked by deepakrathorer66, 3 months ago

3. कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी न किसी सच्चाई को उजागर करते हैं।
निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्धत करते हुए बताइए कि यह समाज
की किस सच्चाई को उजागर करते हैं-
(क) वृद्ध मुंशी
(ख) बकील
(ग) शहर की भीड़
5.​

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Answered by shishir303
8

‘नमक का दरोगा’ कहानी जो कि ‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखी गयी है, उसके सभी पात्र समाज की किसी न किसी सच्चाई को उजागर करते हैं, और हमें किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं, निम्न पात्रो के संदर्भ में कुछ अंश दिये गये हैं...

(क) वृद्ध मुंशी : ‘नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान देना, ये तो पीर की मजार है, निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूंढना जहां कुछ ऊपरी आए हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है।’

✎...  इस उद्धरण में वृद्ध पिता अपने पुत्र को रिश्वत लेने की सीख देता है। वो अपने पुत्र को समझाता है कि खाली वेतन से घर नही चलता बल्कि ऊपरी आमदनी भी जरूरी है अतः ऐसी नौकरी करना जहाँ ऊपरी आमदनी की गुंजाइश हो। एक पिता का अपने पुत्र को रिश्वतखोरी के लिये उकसाना हमारे समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के प्रभाव को दर्शाता हैं, जिसने आम-जन को भी नही छोड़ा है।

(ख) वकील :  ‘वकीलों ने यह फैसला सुना और उछल पड़े’

✎...  ये उद्धरण दर्शाता है वकील पंडित अलोपदीन के चाटुकार थे। वो लोग पंडित अलोपदीन के धन के बल आगे नतमस्तक थे। इस उद्धरण से हमें न्याय व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का पता चलता है कि धन के बल से न्याय को भी खरीदा जा सकता है।

(ग) शहर की भीड़ : ‘जिसे देखिए वही पंडित जी के इस व्यवहार पर टीका टिप्पणी कर रहा था। निंदा की बौछार हो रही थी। मानो संसार से अब पापी का पाप कट गया। पानी को दूध के नाम से बेचने वाला ग्वाला, कल्पित रोजनामचा बनाने वाला अधिकारी वर्ग, रेल में बिना टिकट सफर करने वाले बाबू लोग, जाली दस्तावेज बनाने वाले सेठ और साहूकार, यह सब के सब देवताओं की भांति गर्दन चला रहे थे।’

✎...  प्रस्तुत उद्धरण से पता चलता है कि सब के सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं लेकिन सब के सब स्वयं को ऐसा दिखाते हैं कि जैसे उनसे बड़ा ईमानदार कोई नही हो। पंडित अनूपदीन के गिरफ्तार होने पर सब लोग उन पर टीका-टिप्पणी करने लगे। लेकिन जो लोग टीका-टिप्पणी कर रहे थे वो भी कोई दूध के धुले नही थे। वो लोग भी किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार में लिप्त थे। लोगों का ये रवैया समाज के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। किसी के गुनाह करने पर वो लोग भी उसके ऊपर उंगली उठाने से नही चूकते जिन्होने वही अपराध किया हो।

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