3. कविता में पूजा किसे कहा गया है?(ठुकरा दो या प्यार करो)
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सुभद्रा कुमारी चौहान :: :: :: ठुकरा दो या प्यार करो :: कविता सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं। मुक्तामणि बहुमुल्य वस्तुएँ लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं। फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आई।
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प्रसंग प्रस्तुत पद्यांश श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'हल्दी घाटी' महाकाव्य से संकलित 'पूजन' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें चित्तौङ को पवित्र तीर्थ के समान बताया गया है।
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