3. कविता में पुष्प किन-किन चीजों की चाह नहीं करता?
4. मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
5. देवों के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर इठलाने से पुष्प क्यों बचना चाहता
है?
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३ सिंगार की| भाव की
४| हे मनुष्य तुम मुझे तोड़ कर उस स्थान पर फेंक देना जहां हमारे वीर जवानों की शहादत हुई हम उस जगह को चूम कर उन्हें प्रणाम करूँगा
५ कियो के पुष्प एक मृत शरीर की भी शोभा बढता है
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Kavita mein Pushp kin kin chijon ki chah nahin karta hai
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