3. कविता में 'सुमन' व 'कंटकों के शर' से कवि का क्या तात्पर्य है?
पपात भाया हैजीवन-यात्रा में क
गत सात भागा
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सुमन से पुष्प
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कंटक से कांटा
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कविता में सुमन व कंटकों के शर से कवि का तात्पर्य है सुख और दुख।
- उपुर्युक्त प्रश्न " पथ की पहचान " कविता से पूछा गया है। पथ की पहचान कविता कविवर हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित है।
- कवि इस कविता के माध्यम से कहना चाहते है कि हमें अपने जीवन के पथ पर सोच समझकर सही मार्ग का चयन करना चाहिए।
- कवि कहते है कि इस पथ पर कई लोग आए और कई चले गए। कुछ लोग अपनी निशानी छोड़ गए।
- कवि कहता है कि हे पथिक इस पथ पर आगे बढ़ने से डर मत। कवि कहता है कि हमें अच्छे बुरे की चिंता न करके कठिन राह से भी आगे बढ़ना होगा।
- अपने पथ को अच्छा समझने से राह आसान हो जाती है।
- सुमन व कंटक से कवि के कहने का अर्थ है कि हमारी राह में फूल भी आयेंगे व कांटे भी।
- फूल व कांटे से कवि का तात्पर्य है दुख व सुख। हमारे जीवन में सुख व दुख आते रहते है।
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