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ख) भारत वंदना कविता में सूर्यकांत त्रिपाठी
निराला का क्या कथन है? उक्त कथन का
उल्लेख कीजिए।
अथवा
मुकुट शुभ्र हिम-तुषार,
प्राण प्रणव ओंकार
ध्वनित दिशाएँ उदार,
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भी लापता है."
इसी समय द्वार खुले और एक यमदूत बदहवास वहाँ आया. उसका मौलिक कुरूप चेहरा परिश्रम, परेशानी और भय के कारण और भी विकृत हो गया था. उसे देखते
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सूर्यकांत त्रिपाठी का कथन
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