Hindi, asked by shavuni, 5 months ago

3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?hindi page no.105 . short answer plss in hindi​

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Answered by harshitsaxena75
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Answer:

खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था। खानपान की मिश्रित संस्कृति के आने के कारण अब लोगों को खाने-पीने के व्यंजनों में इतने विकल्प मिल गए हैं कि अब स्थानीय व्यंजनों का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

Answered by ruchikasingh287287
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प्रत्यक्ष उत्तरः

स्थानीयता - वह व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते हैं या स्थानीय आधार पर प्रसिद्ध हों, खानपान के मामले में स्थानीयता को दर्शाते हैं। जैसे- मुंबई की पाव-भाजी, गुजरात का ढोकला, दिल्ली के छोले- कुल्चे, आदि।

व्याख्याः

कोई भी स्थानीय व्यंजन किसी विशेष स्थान तक ही सीमित नहीं रह गए हैं बल्कि यह देश विदेशों तक की प्रसिद्धि बटोर रहें हैं। खानपान में स्थानीयता का तात्पर्य किसी स्थान विशेष व्यंजन से है। हर प्रांत का अपना एक प्रसिद्ध व्यंजन होता है जोकि वहाँ के स्थानीय लोगों के अलावा प्रवासीय लोगों द्वारा भी बहुत पसंद किया जाता है। जैसे- दक्षिण भारत का डोसा- mathcal H , आगरा के पेठे, आदि। यह सभी व्यंजन विशेष स्थान तक न प्रसिद्ध हो कर विश्व विख्यात हैं।

सन्दर्भ:

प्रस्तुत पाठ, खानपान की बदलती तसवीर, प्रयाग शुक्ल जी द्वारा लिखित एक निबंध है। इस निबंध के माध्यम से लेखक ने आधुनिक युग तथा पश्चिमी सभ्यता के कारण खानपान की बदलती तसवीर दिखाई है। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने उन अवयवों पर भी प्रकाश डाला है जो हमारे भोजन में जुड़ कर स्थानीय चीज़ों से हमें दूर करते जा रहें हैं ।

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