Hindi, asked by shadiyaathar, 10 months ago

3. लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस
कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या
अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें
किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई. ईमानदारी और अच्छाई के कार्य
किए हों।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

जीवन में जरूरी नहीं कि हर बात आपके अनुकूल हो। अच्छाइयां और बुराइयां जीवन के सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। लेखक धोखा खाने के बाद भी निराश नहीं हुआ है। इसकी वजह है लेखक का जीवन के प्रति सकारात्मक रुख। यदि हम निरर्थक बातों पर ज्यादा ध्यान देते हैं तो उससे हमारी नकारात्मक मानसिकता को बढ़ावा मिलता है। इससे हमारे अंदर दुख और हताशा की भावना भर जाती है। यदि हम जीवन की सार्थकताओं की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं तो इससे हमें जीवन को एक चुनौती की तरह जीने की प्रेरणा मिलती है। लेखक भी सकारात्मक मानसिकता से ओत प्रोत लग रहा है।

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