3 मिट्टी का
खित
5) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिा
1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं
2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
4. श्रद्धा, भक्ति, सेह की व्यंजना के लिए धूल सों
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यं
) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में लि
5.
Answers
Answer:
1- हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
2- लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
3- मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
1. हीरे के प्रेमी उसे साफ़-सुथरा, खरादा हुआ आँखों में चकाचौंध पैदा करे ऐसे रूप में पसंद करते हैं।
2. लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी से सनने के सुख को दुर्लभ माना है।
3. मिट्टी की आभा का नाम धूल हैं और मिट्टी के रंग रूप की पहचान धूल से ही होती है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1- धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
2- हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
3- अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
4- श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
5- इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
Answer:
1.
Explanation:
ग्रामीण जीवन में गोधूलि बेला होती है उस समय वातावरण में उठी हुई धूल शिशु के मुख पर सुशोभित होती हैहर ग्रामीण शिशु इस सुख का अनुभव करता है अतः ग्रामीण जीवन में धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती .
2.हमारी सभ्यता को शिशुओं का सेट सौंदर्य अच्छा नहीं लगता है उसके जीवन में बनावट ई पन की भरमार है वह धूल से बचने के लिए आसमान में अपना घर बनाना चाहती है उसे अपनी बनावट की सुंदरता के प्रति खतरा अनुभव होता है इसलिए वह धूल से बचना चाहती है
3.लेखक अखाड़े की मिट्टी को साधारण दूर नहीं मानता है अखाड़े की मिट्टी तेल और मट्ठे के सजाई हुई मिट्टी होती है इस मिट्टी को खा ले के जवान पूजा करते हैं यही मिट्टी उनके शरीर को ताकतवर करती है
4. श्रद्धा भक्ति और सुनील प्रकट करने के लिए धूल सर्वोत्तम साधन है कोई योद्धा या विदेश कद मनुष्य अपने देश में लौटकर पहले उसकी धूल को माथे पर लगाता है इस प्रकार वह अपनी धरती के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करता है
5.इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता को बनावट ईपन के भावना पर व्यंग्य किया है इस सभ्यता को साफ सुथरा खरीदा हुआ और चकाचौंध उत्पन्न करने वाली सुंदरता ही पसंद है उसे पूरी तरह प्राकृतिक तरीके का सौंदर्य अच्छा नहीं लगता है