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माया स क्या तात्पर्य है ? इसके प्रमुख प्रकारों का परिचय दीजिए।
वर्तमान समय में पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को स्पष्ट करते हुए विविध आयामों का उल्लेख
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कीजिए।
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माया (या भ्रम) शब्द का प्रयोग एक से अधिक अर्थों में होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि विचार में परिवर्तन के साथ शब्द का अर्थ बदलता गया। जब हम किसी चकित कर देने वाली घटना को देखते हैं, तो उसे ईश्वर की माया कह देते हैं। यहाँ माया का अर्थ शक्ति है। व्यक्ति अपनी चतुराई से वस्तु को विपरीत रूप में दिखाता है, यथार्थ के अभाव में भी उन्हें दिखा देता है। यह उसकी माया है। यहाँ का अर्थ मिथ्या ज्ञान या ऐसे ज्ञान का विषय है। मिथ्या ज्ञान दो प्रकार का है -- भ्रम और मतिभ्रम। भ्रम में ज्ञान का विषय विद्यमान है परंतु वास्तविक रूप में दिखाता नहीं, मतिभ्रम में बाहर कुछ होता ही नही, हम कल्पना को प्रत्यक्ष ज्ञान समझ लेते हैं।
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