Hindi, asked by lalitaparihar0003, 3 months ago

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नीचे दिए गए प्रस्थान बिन्दु के आधार पर 100 से 120 शब्दों के एक लघु कथा लिखिए।
सेठ जगन्नाथ शहर के रईश और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे अपनी सीमेंट एजेंसी की गोदाम पर
पहुँचे ही थे कि एक गरीब मजदूर उनके पैरों पर गिर पड़ा। उसकी पत्नी बहुत बीमार थी। वह
सेठजी से मदद के लिए गिडगिडाने लगा। वह सेठजी के अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज
कराना चाहता था। सेठजी उसे यह कहते हुए टाल दिया कि वे इसमें कुछ नहीं कर सकते।
उनके अस्पताल की फीस देना उस जैसे मजदूर के बस की बात नहीं है। सेठजी की दया धर्म
वाली छवि की असलियत सामने आ चुकी थी।​

Answers

Answered by nehagautam0799
1

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red UC so pic do

Answered by Anonymous
16

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कहानी

Explanation:

सेठ जगन्नाथ शहर के रईश और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। वे अपनी सीमेंट एजेंसी की गोदाम पर

पहुँचे ही थे कि एक गरीब मजदूर उनके पैरों पर गिर पड़ा। उसकी पत्नी बहुत बीमार थी। वह

सेठजी से मदद के लिए गिडगिडाने लगा। वह सेठजी के अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज

कराना चाहता था। सेठजी उसे यह कहते हुए टाल दिया कि वे इसमें कुछ नहीं कर सकते।

उनके अस्पताल की फीस देना उस जैसे मजदूर के बस की बात नहीं है। सेठजी की दया धर्म

वाली छवि की असलियत सामने आ चुकी थी

दो दिन बाद ही गरीब मजदूर कि पत्नी की मृत्यु हो गई।मजदूर पर दोहरी मार पड़ी। उसे हार्ट अटैक हुआ उसकी भी मृत्यु हो गई।

सेठ जग्गनाथ के जीवन पर कोई असर नहीं हुआ।वो गरीब मजदूर को कब भूल गए उनको पता नहीं चला।धीरे धीरे समय बीतने लगा।एक दिन दफ्तर जाते समय सेठजी को असामान्य से महसूस हुआ।

उन्हे दिल के दौर पड़ा।ड्राइवर घबराहट के मेरे एक सरकरी हॉस्पिटल ले गया।डॉक्टर के उनका ऑपरेशन किए।कुछ दिन में सेठजी बिल्कुल ठीक हो गए।सेठजी के परिवार ने डॉक्टर नर्सों को धन्यवाद किया।और एक लाख रुपए दीने छये

जिस महिला चिकित्सक ने उनके इलाज किया वो बोली कि सेठजी आप मुझे धन्यवाद मत करिए।

ना हमें आपके पैसों के कोई लालच है।ये पैसे आप वपस ले जाइए।

केवल मुश्किल मैं पड़े लोगो कि मदद करिए।

कुछ साल पहले आपने जिस गरीब मजदूर कि मदद करने से मना किया था, मैं इस मजदूर कि ही बेटी हूं।आप के रूखापन के कारण मेरे माता पिता ने प्राण त्याग दिए।लेकिन किसी और जरूरतमंद को ऐसा समय ना देखना पड़े इसीलिए हमारा अस्पताल लोगो का फ़्री में इलाज करता है। ये आपकी दवाइयों का पर्चा है केमिस्ट से मांगा लीजिएगा धन्यवाद।इतना कहकर डॉक्टर आगे बढ़ गई।सेठजी को अपने किए पर बोहोत पछतावा हुआ।आगे से हर महीने उन्होंने कुछ रकम उन्होंने गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए अस्पतालों में दान करनी शुरू की।

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