3 निम्न गद्यांश की सन्दर्भ प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए
मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज को ठोकर मारते रहे हो। कोई चीज
परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अप
जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था उस पर तुमने अप
जूता आजमाया।
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निम्न गद्यांश की सन्दर्भ प्रसंग सहित व्याख्या लिखिए -
मुझे लगता है, तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो! कोई चीज जो परत-पर-परत सदियों से जम गई है, उसे शायद तुमने ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया। कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था उस पर तुमने अपना जूता आजमाया।
सन्दर्भ : यह गद्यांश प्रेमचंद के फटे जूते पाठ से लिया गया है | यह पाठ हरिशंकर परसाई द्वारा लिखा गया है |
प्रसंग : गद्यांश में जीवन में आई हुई मुसीबतों को ठोकर मारकर हटाने के बारे में बताया गया है | यदि जीवन में कोई भी परेशानी आएगी तो उसे हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहिए |
व्याख्या : प्रेमचंद के फटे जूते को देखकर कहता है कि मुझे ऐसा लगता है कि सख्त चीज़ को ठोकर मारते हो , इसलिए तुम्हारे जूतों पर सदियों ने धूल जम गई , और पाने जूते भी फाड़ लिए | ऐसा लगता है , कि तुम्हारे रास्ते में जब कोई परेशानी आई तुम्हें उसे अपने जूते से ठोकर मार कर हमेशा के लिए खत्म कर दिया है | इसलिए तुम्हारे जूते फट गए है |
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