(3). निम्न लिखित वाक्योमे अव्यय छांटकर लिखिए 1 दुर्योधन तथा कर्ण में गहरी मित्रता थी। 2. उमॅग और स्मित घर चले गाये।
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अव्यय ( अविकारी शब्द ):
अविकारी शब्द - जिन शब्दों जैसे क्रियाविशेषण,संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, तथा विस्मयादिबोधक आदि के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं ! अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है !
अव्यय - अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता, जैसे - यहाँ, कब, और आदि! अव्यय शब्द पांच प्रकार के होते हैं -
1 - क्रियाविशेषण - धीरे-धीरे, बहुत
2- संबंधबोधक के साथ तक ,
3 - समुच्चयबोधक तथा, एवं, और
4 - विस्मयादिबोधक - अरे, हे
5 - निपात ही भी
1- क्रियाविशेषण अव्यय जो अव्यय किसी क्रिया - की विशेषता बताते हैं, वे क्रिया विशेषण कहलाते हैं, जैसे- मैं बहुत थक गया हूँ ।
क्रियाविशेषण के चार भेद हैं -
1 - कालवाचक क्रियाविशेषण - जिन शब्दों से कालसंबंधी क्रिया की विशेषता का बोध हो,
जैसे- कल, आज, परसों, जब, तब सायं आदि ! (कृष्ण कल जाएगा । )
2 - स्थानवाचक क्रियाविशेषण जो क्रियाविशेषण - क्रिया के होने या न होने के स्थान का बोध कराएँ,
जैसे- यहाँ, इधर, उधर, बाहर, आ गे, पीछे, आमने, सामने, दाएँ, बाएँ आदि
( उधर मत जाओ ।)
3 - परिमाणवाचक क्रियाविशेषण- जहाँ क्रिया के परिमाण / मात्रा की विशेषता का बोध हो,
जैसे - जरा,थोड़ा, कुछ, अधिक, कितना, केवल आदि ! ( कम खाओ )
4 - रीतिवाचक क्रियाविशेषण- इसमें क्रिया के होने के ढंग का पता चलता है, जैसे- जोर से,
धीरे-धीरे, भली-भाँति,ऐसे,सहसा, सच, तेज, नहीं, कैसे, वैसे,ज्यों, त्यों आदि !
( वह पैदल चलता है । )
2- संबंधबोधक अव्यय जो अविकारी शब्द संज्ञा - अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं, संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं,
जैसे के बाद से पहले, के ऊपर, के कारण, से
लेकर, तक, के अनुसार, के भीतर, की खातिर, के लिए, के बिना, आदि ! (विद्या के बिना मनुष्य पशु है 1)