Hindi, asked by BituBiswas, 1 month ago

3 निम्नलिखित गद्यांश की प्रसंग, संदर्भव विशेष सहित व्याख्या कीजिए- [1+1+2+1=5] 64 क्षमा जहाँ से श्रीहत् हो जाती है, वहीं से क्रोध के सौंदर्य का आरम्भ होता है । शिशुपाल की बहुत- सी बुराइयों तक जब श्रीकृष्ण की क्षमा पहुँच चुकी तब जाकर उसका लौकिक लावण्य फीका पड़ने लगा और क्रोध की समीचीनता का सूत्रपात हुआ। अपने ही दुःख पर उत्पन्न क्रोध में या तो हमें तत्काल क्षमा का अवसर या अधिकार ही नहीं रहता अथवा वह अपना प्रभाव खो चुकी रहती है।​

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Answered by as1742927
1

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Answered by Sara1170
2

Answer:

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