3- निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 5
आज वह नहीं है। दिल्ली में बीमार रहे और पता नहीं चला। बाँहें खोलकर इस बार उन्हों ने गले नहीं लगाया।
जब देखा तब वे बाँहें दोनों हाथों की सूजी उँगलियों को उलझाए ताबूत में जिस्म पर पड़ी थीं। जो शांति
बरसती थी वह चेहरे पर थिर थी। तरलता जम गई थी। वह 18 अगस्त, 1982 की सुबह दस बजे का समय था।
दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन कब्रगाह में उनका ताबूत एक छोटी-सी नीली गाड़ी में से उतारा गया।
कुछ पादरी, रघुवंश जी का बेटा और उनके परिजन राजेश्वर सिंह उसे उतार रहे थे। फिर उसे उठाकर उक
लंबी सँकरी, उदास पेड़ों की घनी छाँह वाली सड़क से कब्रगाह के आखिरी छोर तक ले जाया गया, जहाँ
धरती की गोद में सुलाने के लिए कब्र अवाक् मुँह खोले लेटी थी। ऊपर करील की घनी छाँह थी और चारों
ओर कबें और तेज धूप के वृत्त।
1-लेखक को किस बात का दुःख हुआ?
2-'जहाँ धरती की गोद में सुलाने के लिए कब्र अवाक् मुँह खोले लेटी थी।' इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
फादर की अंतिम क्रिया कहाँ की गई?
3-फादर का ताबूत गाड़ी में से किसने उतारा?
4-निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
2-पुस्तकालय 3-समय का सदुपयोg
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निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :- "आगे चना गुरूमात दिए तै, लए तुम चाबि हमे नहिं दीने । स्याम कह्यो मुसकाय सुदामा सो, चोरी की बान में हौ जू प्रवीने ।। पोटरी काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नाहि सुधा रस भीने। पाछिलि बानि अजौ न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हैं ।।
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