3. निम्नलिखित गद्यांश का सार लगभग एक-तिहाई शब्दों में लिखकर उचित शीर्षक भी दीजिए।
आज मानव मानव से दूर हटता जा रहा है। वह भूलता जा रहा है कि देश, धर्म, जाति या वर्ण भिन्न होते हुए भी हम
सर्वप्रथम मानव हैं। हमारी भावनाएँ एक हैं। धन, धर्म या सत्ता के मद में एक मानव दूसरे को हेय समझने लगा है। वह भूल
जाता है कि दूसरे मानव में भी स्वाभिमान है। उसे भी अपनी संतान से प्रेम है। वह भी अपने समाज और देश के लिए कुछ
करना चाहता है। जिस दिन मानव यह समझ जाएगा कि एक आकाश के नीचे रहने वाले सभी मानव भाई-भाई है, तभी वह
सच्चा मानव कहलाने का अधिकारी होगा
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Sorry
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I don't know hindi can you pls ask question in english
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