Hindi, asked by dangishivam525, 1 month ago

3. निम्नलिखित गद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए - असे, तुम्हारे की भरोसे जी रहे हम सभी, सब कुछ गया रे हाय रे तुमको न छोड़ेंगे कभी। आशे, तुम्हारे ही सहारे टिक रही है यह मही। धोखा न दीजो अन्त में, बिनती हमारी है यही ॥

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Answered by PratikshaPanhale2006
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Answer:

सृजन अर्थात निर्माण की आवश्यकता और आकांक्षा मनुष्य को स्वयं के अ ंदर से ही प्राप्त होती है। मनुष्य अपने आचरण, शील, श्रम, विवेक और कार्य संपादन की अभिलाषा से जो भी कार्य करेगा वे अवश्य ही पूर्ण होंगे।

अंधकार में प्रकाश का सृजन मनुष्य के द्वारा ही संभव है। गेहूं के उगते हुए पीताभ नन्हें पौधे यह संदेश देते हंै कि निंरतर सृजन अथवा निर्माण प्रकृति का शाश्वत नियम है।

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