Geography, asked by areena3617, 1 year ago

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :(i) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन करें। (ii) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत में मूलभूत अंतर बताइए। (iii) महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुन: रुचि ली?

Answers

Answered by nikitasingh79
10

Answer with Explanation:

(i) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन निम्न प्रकार से हैं :  

(1) महाद्वीपों में साम्य :  

अंध महासागर के दोनों तटों के समानता एक आरी के दांतो की तरह है । इन तत्वों को यदि आपस में मिला दिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह महाद्वीप कभी एक इकाई थे। सन् 1964 में बुलर्ड ने कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा अटलांटिक तटों को मिलाते हुए एक मानचित्र तैयार किया।  

 

(2) भूगर्भिक प्रमाण :  

मध्य अफ्रीका, मेडागास्कर, दक्षिणी भारत , ब्राजील तथा ऑस्ट्रेलिया के तटों पर पाई जाने वाली चट्टानों में समानता पाई जाती है।  200 करोड़ वर्ष प्राचीन शैल समूहों की पट्टी सिद्ध करता है कि यह महाद्वीप कभी गौडवानालैंड के भाग थे।  भू-वैज्ञानिक क्रियाओं के फल स्वरूप 47 करोड़ वर्ष पुरानी पट्टी का निर्माण एक निरंतर कटिबंध के रूप में हुआ था।  यह रेडियो मीट्रिक काल निर्धारण विधि से ज्ञात हुआ।  

 

(3) जीवाश्मों का वितरण :  

अर्जेंटीना , दक्षिण अफ्रीका ,भारत, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका में पाए जाने वाले जीवाश्मों में समानता भी इस सिद्धांत  की पुष्टि करती है ।

उदाहरण के लिए मैसोसारस नामक जंतुओं के जीवाश्म गौंडवानालैंड के सभी महाद्वीपों में मिलते हैं जबकि आज के महाद्वीप एक दूसरे से काफी दूर है । लैमूर भारत, मडगास्कर और अफ्रीका में मिलते हैं।  कुछ वैज्ञानिक इन तीनों स्थल खंडों को जोड़कर एक सतत स्थल खंड लैमूरिया की उपस्थिति को स्वीकार करते हैं।  

 

(4) टिलाइट :  

टिलाइट अवसादी चट्टानें होती है , जो हिमानी निक्षेप में बनती हैं।  भारत में गोंडवाना श्रेणी का निक्षेप दक्षिणी गोलार्ध के छह विभिन्न स्थल खंडों में मिलते हैं। इसी क्रम के निक्षेप भारत, अफ्रीका, फ़ॉकलैंड द्वीप, मैडागास्कर, , अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया में मिलते हैं।  टिलाइट की समानता महाद्वीपों के विस्थापन को स्पष्ट करती है।  

(5) ग्लेशियरी प्रभावों के प्रमाण :  

महान हिम युग के प्रभाव ब्राजील ,दक्षिण अफ्रीका ,भारत , ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं जो सिद्ध करते हैं कि ये महाद्वीप महोदय उस समय इकट्ठे थे।  

(6) प्लेसर निक्षेप :

घाना तट व ब्राज़ील तट पर सोने के बड़े निक्षेप मिलते हैं। यह स्पष्ट करता है कि दोनों महाद्वीप एक दूसरे से जुड़े थे।  

 

(ii) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत व प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत में मूलभूत अंतर :  

वैगनर ने महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के अनुसार प्राचीन काल में एक सुपर महाद्वीप पेनजिया के रूप में विद्यमान था । इसके विभिन्न भाग महाद्वीप गतिमान है । महाद्वीप विभिन्न कालों में विस्थापन के कारण विभिन्न स्थितियों में थे ।

परंतु प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार महाद्वीपों के ठोस पिंड प्लेटों पर स्थित थे। पेंजिया अलग-अलग प्लेटों के उपर स्थित महाद्वीपों के खंडों से बना था। महाद्वीपीय खंड एक दूसरी प्लेट के भाग थे। ये प्लेटें लगातार विचरण कर रही है।  ये भूतकाल में गतिमान थी और भविष्य में भी गतिमान रहेंगी।

 

 

(iii) महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की प्रमुख खोज जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुन: रुचि ली  वे निम्न प्रकार से है :  

मोरगन तथा मैकेंजी द्वारा प्लेट विवर्तनिकी अवधारणा का विकास किया है। ये प्लेटें दुर्बलता मंडल पर एक इकाई के रूप में गतिमान है। चट्टानों के पूरा चुंबकीय अध्ययन तथा महासागरीय तल  के मानचित्रण ने कई नए तथ्यों को उजागर  किया । महासागरीय कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार से लावा निकलता है। इस विभेदन से लावा दरारों को भर कर पर्पटी को दोनों तरफ धकेलता है जिससे महासागरीय अधस्थल का विस्तार होता है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

 

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :

(i) निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की? (क) अल्फ्रेड वेगनर (ख) अब्राहम आरटेलियस

(ग) एनटोनियो पेलेग्रिनी (घ) एडमंड हैस

(ii) पोलर फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?

(क) पृथ्वी का परिक्रमण (ख) पृथ्वी का घूर्णन

(ग) गुरुत्वाकर्षण (घ) ज्वारीय बल

(iii) इनमें से कौन सी लघु (Minor) प्लेट नहीं हैं?

(क) नजका (ख) फ़िलिपीन (ग) अरब (घ) अंटार्कटिक

(iv) सागरीय अधस्तल विस्तार सिद्धांत की व्याख्या करते हुए हेस ने निम्न में से किस अवधारणा पर विचार नहीं किया?

(क) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ।

(ख) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुंबकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना।

(ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण।

(घ) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु।

(v) हिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?

(क) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण

(ख) अपसारी सीमा

(ग) रूपांतर सीमा

(घ) महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण।

https://brainly.in/question/11902049

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

(i) महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वेगनर ने निम्नलिखित में से किन बलों का उल्लेख किया?

(ii) मैंटल में संवहन धाराओं के आरंभ होने और बने रहने के क्या कारण हैं?

(iii) प्लेट की रूपांतर सीमा, अभिसरण सीमा और अपसारी सीमा में मुख्य अंतर क्या है?

(iv) दक्कन ट्रेप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थलखंड की स्थिति क्या थी?

https://brainly.in/question/11902035

Answered by sejuusha21
2

Explanation:

[1]

वेगनर के द्वारा महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के अंतर्गत कहा है कि 20 करोड़ वर्ष पहले सभी महाद्वीप आज की तरह भिन्न - भिन्न नहीं थे , बल्कि, पैंजिया के ही भाग थे । इसको प्रमाणित करने के लिए वेगनर ने कई साक्ष्य दिए हैं

(i) . भूवैज्ञानिक क्रियाओं के द्वारा 47 करोड़ से 35 करोड़ वर्ष पुरानी पर्वत पट्टी का निर्माण एक अविच्छिन्न कटिबंध के रूप में हुआ था । ये पर्वत अब अटलांटिक महासागर के अंतर्गत अलग कर दिए गए हैं ।

(ii) . घाना तट जो की अफ्रीका में स्थित है , पर सोने का निक्षेप पाया जाता है जबकि 5000 कि ० मी ० चौड़े महासागर के पार दक्षिणी अमेरिका में ब्राजील के तटवर्ती भाग में भी सोने का निक्षेप पाया जाता है ।

(iii) . कुछ जीवाश्म द्वारा भी यहां पता चलता हैं कि समस्त महाद्वीप कभी परस्पर जुड़े हुए थे । उदाहरणत : ग्लोसोप्टेरिस नामक पौधे तथा मेसोसौरम एवं लिस्ट्रोसौरस नामक जंतुओं के जीवाश्म गोंडवानालैंड के सभी महाद्वीपों में मिलते हैं जबकि आज ये महाद्वीप एक - दूसरे से काफी दूर हैं ।

(iv) . महाद्वीपों का विस्थापन अभी भी जारी है । अटलांटिक महासागर की चौड़ाई प्रतिवर्ष कई सेंटीमीटर के हिसाब से बढ़ रही है अपितु प्रशांत महासागर छोटा होता जा रहा है । लाल सागर भूपर्पटी में एक दरार का हिस्सा है जो भविष्य में करोड़ों वर्ष पश्चात एक नए महासागर की रचना करेगा । दक्षिणी अटलांटिक महासागर के चौड़ा होने से अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका एक - दूसरे से अलग हो गए हैं ।

(v) . पर्मोकार्बनी काल में मोटे हिमानी निक्षेप उरुग्वे , दक्षिणी भारत , दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , अफ्रीका , तथा तस्मानिया के धरातल पर दिखाई देते थे । इन अवसादों की प्रकृति में एकरूपता यह निश्चित होती है कि भूवैज्ञानिक अतीत काल में सम्पूर्ण महाद्वीप एक - दूसरे से जुड़े हुए थे और यहाँ एक जैसी जलवायविक दशाएँ थीं ।

Explanation:

[2]

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत-

इस सिद्धांत की आधारभूत संरचना यह थी कि सभी महाद्वीप पहले एक ही भूखंड के भाग थे , जिसे पैंजिया नाम दिया गया था । ये भूखंड एक बड़े महासागर से घिरा हुआ था । वेगनर के अनुसार , लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले पैंजिया का विभाजन आरंभ हुआ । पैंजिया पहले दो बड़े भूखंड लारेशिया और गोंडवानालैंड के रूप में विभक्त हुआ । इसके बाद लारेशिया व गोंडवानालैंड धीरे - धीरे अनेक छोटे छोटे हिस्सों में बँट गए जो आज के वर्तमान महाद्वीप के रूप में हैं ।

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत -

इस सिंद्धांत के अनुसार , पृथ्वी के स्थलमंडल को सात मुख्य प्लेटों व कुछ छोटी प्लेटों में विभक्त किया जाता है । नवीन वलित पर्वतश्रेणियाँ , खाइयाँ और भ्रश इन मुख्य प्लेटों को सीमांकित करते हैं । महाद्वीप एक प्लेट का हिस्सा है और प्लेट गतिमान है । वेगनर की संकल्पना कि केवल महाद्वीप ही गतिमान है , सही नहीं है ।

Explanation:

[3]

वेगनर ने महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के द्वारा जो जानकारी प्रस्तुत की थी , वह पुराने तर्क पर आधारित थी । वर्तमान में जानकारी के जो स्रोत हैं , वे वेगनर के समय में उपलब्ध नहीं थे । चट्टानों के चुंबकीय अध्ययन और महासागरीय तल के मानचित्रण ने विशेष रूप से निम्न तथ्यों को उजागर किया।

(i) . यह देखा गया कि मध्य - महासागरीय कटकों के साथ ही ज्वालामुखी उद्गार सामान्य क्रिया हैतथा ये उद्गार इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लावा निकालते हैं ।

(ii) . महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा ज़्यादा नई हैं । महासागरीय पर्पटी की चट्टानें कहीं भी 20 करोड़ वर्ष से ज़्यादा पुरानी नहीं हैं । महाद्वीपीय पर्पटी के भूकंप उद्गम केंद्र ज़्यादा गहराई पर हैं जबकि मध्य महासागरीय कटकों के क्षेत्र के भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई पर स्थित हैं ।

(iii) . महासागरीय कटक के बीच भाग के दोनों और समान दूरी पर पाई जाने वाली चट्टानों के निर्माण का संरचना , संघटन , समय और चुबंकीय गुणों में समानता पाई जाती है । महासागरीय कटकों के समीप की चट्टानों में सामान्य चुंबकत्व ध्रुवण पाई जाती है तथा ये चट्टानें नवीन हैं । कटकों के शीर्ष से दूर चट्टानों की आयु भी ज़्यादा है ।

(iv) . गहरी खाइयों में भूकंप उद्गम केंद्र ज़्यादा गहराई पर हैं यधपि मध्य - महासागरीय कटकों के क्षेत्र के भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई पर स्थित हैं ।

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