Geography, asked by AdvikaRai9419, 1 year ago

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए : (i) आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करें।(ii) चूना चट्टानें आई व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती हैं क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख व मुख्य भू-आकृतिक प्रक्रिया कौन सी हैं और इसके क्या परिणाम हैं? (iii) हिमनद ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाडियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है बताएँ?

Answers

Answered by nikitasingh79
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(i) आर्द्र व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है क्योंकि  भू-तल को समतल करने वाले वाह्य कार्यकर्ताओं में नदी का कार्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।  वर्षा का जो जल धरातल पर बहते पानी के रूप में बह जाता है ,नदियों का रूप धारण कर लेता है। नदी का कार्य तीन प्रकार का होता है -  

अपरदन,  परिवहन , निक्षेप।

अपरदन :  

नदी का मुख्य कार्य अपनी तली तथा किनारों पर अपरदन करना है।

अपरदन की विधियां :  

(1) रासायनिक अपरदन

(2) भौतिक अपरदन :  

नदी के अपरदन द्वारा निम्नलिखित भू -आकार बनते हैं :  

(i)'V' आकार घाटी :

नदी पर्वतीय भाग में अपने तल को गहरा   करती है जिसके कारण 'V' आकार की गहरी घाटी बनती है।  

(ii) गार्ज :

पर्वतीय भाग में बहुत गहरे और तंग नदी मार्ग को गार्ज या कंदरा कहते हैं।  

(iii)  जलप्रपात तथा क्षिप्रिका :

जब अधिक ऊंचाई से जल अधिक वेग से खड़े ढाल पर बहता है तो उसे जलप्रपात कहते हैं।

(iv) जलज गर्त :  

नदी के जल में भंवर उत्पन्न हो जाते हैं। नरम चट्टानों में गड्ढे बन जाते हैं। इनमें जल के साथ छोटे बड़े पत्थर घूमते हैं । इन पत्थरों के घुमाव से भयानक गड्ढे बनते हैं जिन्हें जलज गर्त कहते हैं।

परिवहन :  

अपरदन के पश्चात नदी का दूसरा प्रदान कार्य परिवहन होता है। नदी खुर्चे हुए पदार्थ को अपने साथ बहाकर ले जाती है । इस पदार्थ को नदी का भार कहते हैं।  

निक्षेप :  

नदी की निचली घाटी में निक्षेप की क्रिया होती है।

निक्षेप क्रिया द्वारा निम्नलिखित भू आकार बनते हैं -  

जलोढ़़ पंख , विसर्प अथवा घुमाव , गो खुर झील , बाढ़ का मैदान, तटबंध, डेल्टा

(ii) जलवायु में परिवर्तन के कारण चूना चट्टानें आर्द्र व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती हैं।  

चुने की चट्टानों के प्रदेश की भू -रचना को कार्स्ट  भू रचना कहते हैं।

भूमिगत जल का महत्वपूर्ण कार्य चूने के प्रदेशों में होता है । भूमिगत जल ऐसे प्रदेशों में विशेष प्रकार की भू -रचना का निर्माण करते हैं।

चूना प्रदेशों में प्रमुख व मुख्य भू-आकृतिक प्रक्रिया और इसके परिणाम निम्न प्रकार से है :  

भूमिगत जल का कार्य मुख्यतः दो प्रकार से होता है अपरदन तथा निक्षेप।  

अपरदन  से बने भू आकार :  

(1) लैपीज़ :  

चूने के घुल जाने से गहरे गड्ढे बन जाते हैं। इनके बीच एक-दूसरे के समांतर पतली नुकीली पहाड़ियां दिखाई देती हैं।  इन तेज़ धारी वाली पहाड़ियां को लैपीज़ या कैरन, कि्लंट या बोगाज़ कहते हैं। ऐसे प्रदेश में धरातल कटा-फटा दिखाई देता है। इन गड्ढों की दीवारें सीधी होती हैं।

 

(2) घोल छिद्र :  

भूमिगत जल घुलन क्रिया से दरारों को बड़ा करता है तथा बड़े-बड़े तथा चौड़े चौड़े गड्ढे बना देता है। इन खुले गड्ढों द्वारा नदियां नीचे चली जाती है। इन्हें डोलाइन या विलय छिद्र या घोल छिद्र कहते हैं।

(3) गुफाएं :  

घुलन क्रिया से भूमि के निचले भाग खोखले हो जाते हैं। धरातल पर कठोर भाग छत के रूप में खड़े रहते हैं। इस प्रकार भूमि के भीतर कई मीलों लंबी - चौड़ी गुफाएं बन जाती हैं।

(4) प्राकृतिक पुल :  

जहां गुफाओं के कुछ अंश नीचे धंस जाते हैं और कठोर भाग खड़े रहते हैं तो प्राकृतिक पुल बनते हैं। जैसे आयरलैंड में मार्बल आर्क।

(5) राजकुंड  :  

गुफाओं की छतों के गिर जाने से भूतल पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इन विशाल गड्ढों को राजकुंड को कहा जाता है।  

निक्षेप से बने भू आकार :  

(1) स्टैलैक्टाइट :  

गुफा की छत से टपकते जल में चून घुला रहता है। जब जलवाष्प बन जाता है तो चूने का कुछ अंश छत पर जमा हो जाता है। धीरे-धीरे उसकी लंबाई नीचे की ओर बढ़ जाती है। इन पतले , नुकीले लटकते हुए स्तंभों को  स्टैलैक्टाइट कहते हैं।

(2) स्टैलैगमाइट :  

गुफा की छत से रिसने वाला जल नीचे फर्श पर चूने का निक्षेप करता है । यह जमाव ऊपर की ओर स्तंभ का रूप धारण कर लेता है । इस मोटे व बेलनाकार स्तंभ को स्टैलैगमाइट कहते हैं।  

(3) कंदरा स्तंभ :  

यह दोनों स्तंभ बढ़ते बढ़ते आपस में मिल जाते हैं तो गुफा की दीवार की भांति कंदरा स्तंभ बन जाते हैं। ये स्तंभ खोखले होते हैं।  ये खटकाने से बहुत सुंदर आवाज़ करते हैं।  

(4) हम्स :  

यह विस्तृत चूने के ढेर होते हैं। ये गुंबदाकार होते हैं । यह विशाल गड्ढों में पाॅलजी में जमा होते रहते हैं।  

(5) ड्रिप स्टोन :  

जब गुफा की छत से जल छिद्र से न  गिर कर छत की दरारों से टपकता है तो गुफा की तली में पर्दे के समान चूने का लंबवत जमाव हो जाता है । इस जमाव को ड्रिप स्टोन कहते हैं।  

(iii)

हिमनदी अपने मार्ग में बड़े-बड़े पत्थरों को उखाड़कर गड्ढे उत्पन्न कर देती है। यह पत्थर चट्टानों के साथ रगड़ते, घिसते  चलते हैं तथा हिमनदी की तली तथा किनारों को चिकना बना देते हैं। पर्वतीय प्रदेशों की रूपरेखा बदल जाती है।  

अपरदन द्वारा बने भू आकार :  

(1) हिमागार :

इनका आकार आराम कुर्सी के समान होता है।  

(2) श्रृंग :  

जब किसी पहाड़ी के चारों और के सर्क आपस में मिल जाते हैं तो उनके पीछे के कटाव से नुकीली चोटिया बनती हैं।

(3) काॅल :  

किसी पहाड़ी के दोनों और के हिमागारों के आपस में मिलने के कारण घोड़े की काठी जैसी आकृति वाला दर्रा बन जाता है जिसे कॉल कहते हैं।  

(4) यू आकार की घाटी :  

जब हिमनदी किसी V आकार की नदी की घाटी में प्रवेश करती है तो उस घाटी का रूप 'U' अक्षर जैसा बन जाता है।

(5) लटकती घाटी :  

इस लटकती घाटी का जल मुख्य घाटी में गिरता है तो प्रपात का निर्माण होता है।  

निक्षेप के स्थान के आधार पर हिमोढ़ चार प्रकार के होते हैं:  

(1)पार्श्विक हिमोढ़ :  

हिमनदी के किनारों के साथ-साथ बने लंबे तथा संकरे हिमोढ़ को पार्श्विक हिमोढ़ कहते हैं।  

(2) मध्यवर्ती हिमोढ़ :  

दो हिम नदियों के संगम के कारण उनकी भीतरी किनारे वाले हिमोढ़ मिलकर एक हो जाते हैं। उसे मध्यवर्ती हिमोढ़ कहते हैं।  

(3) अंतिम हिमोढ़ :  

हिमनदी के पिघल जाने पर हिमदी के अंतिम किनारे पर बने हिमोढ़ को अंतिम हिमोढ़ कहते हैं।  

(4) तलस्थ हिमोढ़ :  

हिमनदी की तली या आधार पर जमे हुए पदार्थ के ढेर को तलस्थ हिमोढ़  कहते हैं।  

 

Answered by hanumanram6537
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विकल्पों

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए : (i) आई व शुष्क जलवायु प्रदेशों में प्रवाहित जल ही सबसे महत्वपूर्ण भू-आकृतिक कारक है। विस्तार से वर्णन करें।(ii) चूना चट्टानें आई व शुष्क जलवायु में भिन्न व्यवहार करती हैं क्यों? चूना प्रदेशों में प्रमुख व मुख्य भू-आकृतिक प्रक्रिया कौन सी हैं और इसके क्या परिणाम हैं?

(iii) हिमनद ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों को निम्न पहाडियों व मैदानों में कैसे परिवर्तित करते हैं या किस प्रक्रिया से यह कार्य सम्पन्न होता है बताएँ?

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