Geography, asked by maahira17, 10 months ago

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए :
(i) ""हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक (Opposing) वर्गों के खेल का मैदान है,"" विवेचना कीजिए।
(ii) 'बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।' व्याख्या कीजिए।
(iii) क्या भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक दूसरे से स्वतंत्र हैं? यदि नहीं तो क्यों? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
(iv) आप किस प्रकार मृदा निर्माण प्रक्रियाओं तथा मृदा निर्माण कारकों के बीच अंतर ज्ञात करते हैं? जलवायु एवं जैविक क्रियाओं की मृदा निर्माण में दो महत्त्वपूर्ण कारकों के रूप में क्या भूमिका है?

Answers

Answered by nikitasingh79
9

Answer with Explanation:

(i) "हमारी पृथ्वी भू-आकृतिक प्रक्रियाओं के दो विरोधात्मक (Opposing) वर्गों के खेल का मैदान है," की विवेचना निम्न प्रकार से है :  

धरातल पृथ्वी मंडल के अंतर्गत उत्पन्न हुए बाह्य बलों एवं पृथ्वी के अंदर अद्भुत आंतरिक बालों से अनवरत प्रभावित होता है तथा यह सर्वदा परिवर्तनशील है। बाह्य बलों को बहिर्जनिक तथा आंतरिक बलों को अंतर्जनित बल कहते हैं । बहिर्जनिक बलों की क्रियाओं का परिणाम होता है - उभरी हुई भू- आकृतियों  का विघर्षण  तथा बेसिन /निम्न क्षेत्रों/ गर्तों का भराव धरातल पर अपरदन के माध्यम से उच्चावच के मध्य अंतर के कम होने के तथ्य को तल संतुलन कहते हैं।  अंतर्जनित शक्तियां निरंतर धरातल के भागों के ऊपर उठाती हैं या उनका निर्माण करती हैं तथा बहिर्जनिक प्रक्रिया उच्चावच में भिन्नता को बराबर करने में असफल रहती है। अतएव विंटर तब तक बनी रहती है जब तक बहिर्जनिक अथवा अंतर्जनित बलों के विरोधात्मक कार्य चलते रहते हैं । सामान्यतः अंतर्जनित बाल मूल रूप से भू- आकृति निर्माण करने वाले बल तथा बहिर्जनिक प्रक्रिया मुख्य रूप से भूमि विघर्षण बल होती है।

 

(ii) 'बहिर्जनिक भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ अपनी अंतिम ऊर्जा सूर्य की गर्मी से प्राप्त करती हैं।' की व्याख्या  निम्न प्रकार से है :  

धरातल पर बाह्य भू- आकृतिक क्रियाएं भिन्न भिन्न अक्षांशों में भिन्न-भिन्न होती है।  यह सूर्य से प्राप्त गर्मी में भिन्नता के कारण है। विभिन्न जलवायु प्रदेशों में तथा ऊंचाई में अंतर के कारण सूर्यताप प्राप्ति में स्थानीय विभिन्नता पाई जाती है। इस प्रकार वायु का वेग ,  वर्षा की मात्रा,  हिमानी , तुषार आदि क्रियाओं में विभिन्नता सूर्यतप के कारण है।  

(iii) नहीं,  भौतिक एवं रासायनिक अपक्षय प्रक्रियाएँ एक दूसरे से स्वतंत्र नहीं हैं दोनों के लिए सामूहिक रूप से कार्य करते हैं। कभी एक क्रिया प्रधान होती है तो कभी दूसरी क्रिया प्रदान होती है। दोनों क्रियाओं में विखंडन तथा अपघटन होता है। दोनों में जल, दाब तथा गैसे सहायक होती हैं।  

रसायनिक अपक्षय क्रियाएं :  

रसायनिक अक्षय में क्रियाओं का एक समूह कार्य करता है जैसे विलयन, कार्बोनेटीकरण,  जलयोजन , ऑक्सीकरण । ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड इन क्रियाओं को तीव्र गति प्रदान करती है।  

भौतिक अपक्षय क्रियाएं  :  

ये क्रियाएं यांत्रिक क्रियाएं है जिनमें निम्नलिखित बल कार्य करते हैं :

  • गुरुत्वाकर्षण बल
  • तापमान वृद्धि के कारण विस्तारण बल  
  • जल का दबाव

इन बालों के कारण चट्टानों का विघटन होता है । ये प्रक्रियाएं लघु व मंद होती है।

(iv) मृदा निर्माण प्रक्रियाओं तथा मृदा निर्माण कारकों के बीच अंतर :  

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएं :  

मृदा निर्माण में अनेक प्रक्रियाएं सम्मिलित है और किसी सीमा तक मृदा परिच्छेदिका को प्रभावित कर सकती हैं । ये प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं :  

(1) अवक्षालन :  

यह मृति्तका अथवा अन्य महीन कणों का यांत्रिक विधि से स्थान परिवर्तन है , जिसमें वे मृदा परिच्छेदिका में नीचे ले जाए जाते हैं।

(2) संपोहन :  

यह मृदा परिच्छेदिका के निचले संस्तरों में ऊपर से बहाकर लाए गए पदार्थों का संचयन है।  

(3) केलूवियेशन :  

यह निक्षालन के समान पदार्थ का नीचे की ओर संचलन है, परंतु जैविक संकुल यौगिकी के प्रभाव में।  

(4) निक्षालन :  

इसमें गोल रूप में पदार्थों को किसी संस्तर से हटाकर नीचे की ओर ले जाना है।

मृदा निर्माण के कारक :  

सभी मृदा निर्माण की प्रक्रिया अपक्षय से जुड़ी है। लेकिन कई अन्य कारक अपक्षय के अंतिम उत्पाद को प्रभावित करते हैं। इनमें से 5 प्राथमिक कारक है। ये अकेले अथवा सम्मिलित रूप से विभिन्न प्रकार की मृदाओं के विकास के लिए उत्तरदाई हैं। ये कारक है :  

समय ,जलवायु ,जनक सामग्री ,स्थलाकृति, तथा जैविक पदार्थ।

इन कारकों के प्रभावों द्वारा मृदा विकास की दर निर्धारित होती है।  

जलवायु एवं जैविक क्रियाओं की मृदा निर्माण में भूमिका :  

जलवायु :  

आर्द्र क्षेत्रों में अत्याधिक अपक्षय तथा निक्षालन के कारण अम्लीय मृदा का निर्माण होता है। निम्न वर्षा वाले क्षेत्रों में चूने के संचयन या धारण के कारण क्षारीय मृदा का निर्माण होता है। विभिन्न प्रकार के मृदा निर्माण में जलवायु एक अत्यधिक प्रभावी कारक है , विशेषकर  तापमान और वर्षा के प्रभावों के कारण अपने वनस्पति  पर अपने प्रभाव के कारण , जलवायु मृदा निर्माण में परोक्ष भूमिका भी निभाती है।  

जैविक क्रियाओं :  

जैविक उत्सर्ग एवं अपशिष्ट पदार्थों के अपघटन तक जीवित पौधों तथा पशुओं की क्रियाओं का मृदा विकास में विशेष हाथ होता है । बिलकारी प्राणी जैसे - छछूंदर , प्रेअरी डॉग , केंचुआ,  चींटी और दीमक आदि धीरे-धीरे जैविक पदार्थों का अपघटन करके तथा दुर्बल अम्ल तैयार करके, जो शीघ्र ही खनिजों को घोल देता है, मृदा विकास में सहायक होते हैं।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :

(i) निम्नलिखित में से कौन सी एक अनुक्रमिक प्रक्रिया है?

(क) निक्षेप (ख) ज्वालामुखीयता

(ग) पटल-विरूपण (घ) अपरदन

(ii) जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती हैं?

(क) ग्रेनाइट (ख) क्वार्ट्ज़ (ग) चीका (क्ले) मिट्टी (घ) लवण

(iii) मलवा अवधाव को किस श्रेणी में सम्मिलित किया जा सकता है?

(क) भूस्खलन (ख) तीव्र प्रवाही बृहत् संचलन (ग) मंद प्रवाही बृहत् संचलन (घ) अवतलन/धसकन

https://brainly.in/question/11902042

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए :

(i) अपक्षय पृथ्वी पर जैव विविधता के लिए उतरदायी है। कैसे?

(ii) बृहत् संचलन जो वास्तविक, तीव्र एवं गोचर/अवगम्य (Perceptible) हैं, वे क्या हैं? सूचीबद्ध कीजिए। (iii) विभिन्न गतिशील एवं शक्तिशाली बहिर्जनिक भू-आकृतिक कारक क्या हैं तथा वे क्या प्रधान कार्य संपन्न करते हैं?

(iv) क्या मृदा निर्माण में अपक्षय एक आवश्यक अनिवार्यता है?

https://brainly.in/question/11902052

Answered by aryanpratap8780
13

Answer:

bhai english ke questions pucha kar

Similar questions