Hindi, asked by mohitgautam6264, 1 month ago

3. निम्नलिखित पद्यांश की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए- रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण-शर विधृत क्षिप्र कर वेग प्रखर, शत शेल संवरण शील, नील नभ गजित-स्वर

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Answered by shishir303
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रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर

रह गया राम-रावण का अपराजेय समर

आज का तीक्ष्ण-शर विधृत क्षिप्र कर वेग प्रखर,

शत शेल संवरण शील, नील नभ गजित-स्वर

संदर्भ : यह पंक्तियां सूर्यकांत त्रिपाठी द्वारा रचित ‘राम की शक्ति पूजा’ नामक कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने राम-रावण के बीच हो रहे युद्ध की घटनाओं का वर्णन किया है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि सूर्यास्त का समय हो गया है और शायद इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है फिर भी दोनों प्रतिद्वंद्वियों की सेनाएं आमने सामने लड़ रही हैं। सूर्यास्त होने के बावजूद दोनों प्रतिद्वंदी आमने-सामने युद्ध के मैदान में है, क्योंकि अभी तक कोई भी निर्णय नहीं हो पाया है। इसलिए आज का यह दिन इतिहास में अमर हो गया। जहाँ राम और रावण के बीच निर्णायक युद्ध छिड़ा हुआ है।  

राम के तीखे वाण बहुत ही तेज वेग से प्रहार करते हैं। उनके वाणों में सैकड़ों भालों के प्रहार को रोकने की शक्ति है। उनके वाणों की गर्जना से पूरा नीला आकाश गुंजायमान हो उठा है।

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