3. "निंदक बाबा वीर हमारा, बिनही कौड़ी बहै विचारा।
आपन डूबे और को तारे, ऐसा प्रीतम पार उतारे।"
प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं?
(क) कबीर दास
(ख) रैदास
(ग) बिहारीलाल
(घ) दादू
4. आदमी भूखा रहता है-
(क) धन का
(ग) प्रेम का
(ख) जन का
(घ) मान का
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गुरु घासी दास की वैचारिक परम्परा सतनामी पंथ से आती है, और सतनामी पंथ का उद्गम स्रोत सद्गुरु रैदास साहेब की ‘बेगमपुर’ विचारधारा है, जिसमें उन्होंने एक वर्गविहीन और जातिविहीन समतामूलक समाज की परिकल्पना का निर्माण किया था। यथा—
अब हम खूब वतन घर पाया। ऊँचा खेर सदा मन भाया।
बेगमपूर सहर का नांव, दुःख-अंदोह नहीं तेहि ठांव।
ना तसवीस खिराज न माल, खौफ न कहता न तरस जुबाल।
आवादान रहम औजूद, जहाँ गनी आप बसै माबूद।
काइम-काइम सदा पातिसाही, दोम न सोम एक सा आही।
जोई सैल करै सोई भावै, हरम महल ताको अटकावै।
कह रैदास खलास चमारा, जो हम सहरी सो मीत हमारा.
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4.(ख)prem ka
Explanation:
insan dhan or jan se jayada prem or maan ka bhukha hota h.
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