Hindi, asked by singhamrita86260, 6 months ago

3. ओम् भूः ओम् भुवः ओम् स्वः ओम् महः ओम् जनः ओइम्
तपः ओ३म् सत्यम्' इस मन्त्र से सन्ध्या में प्राणायाम किया जाता
है अथवा जल-ग्रहण​

Answers

Answered by meghana1308
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hlo mate here is ur ans.

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प्राणायाम करते हुए एक व्यक्ति

मोनियर-विलियमस ने प्राणायाम को कुम्भक के रूप में इस प्रकार परिभाषित किया है। इसमें क्षैतिज अक्ष पर समत है, और ऊर्ध्व अक्ष पर फेफड़ों में वायु की मात्रा

प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएँ होती हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, तथा समाधि । प्राणायाम = प्राण + आयाम । इसका का शाब्दिक अर्थ है - 'प्राण (श्वसन) को लम्बा करना' या 'प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना'। (प्राणायाम का अर्थ 'स्वास को नियंत्रित करना' या कम करना नहीं है।) प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है। यह प्राण -शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है।

हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है-

   चले वाते चलं चित्तं निश्चले निश्चलं भवेत्

   योगी स्थाणुत्वमाप्नोति ततो वायुं निरोधयेत्॥२॥

   (अर्थात प्राणों के चलायमान होने पर चित्त भी चलायमान हो जाता है और प्राणों के निश्चल होने पर मन भी स्वत: निश्चल हो जाता है और योगी स्थाणु हो जाता है। अतः योगी को श्वांसों का नियंत्रण करना चाहिये।

यह भी कहा गया है-

   यावद्वायुः स्थितो देहे तावज्जीवनमुच्यते।

   मरणं तस्य निष्क्रान्तिः ततो वायुं निरोधयेत् ॥

   ( जब तक शरीर में वायु है तब तक जीवन है। वायु का निष्क्रमण (निकलना) ही मरण है। अतः वायु का निरोध करना चाहिये।....

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