Social Sciences, asked by shaikhshamila2, 6 hours ago

3) पुढील ओघतक्ता पूर्ण कर पेशी -​

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Answered by harshwardhansutar34
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Answer:

takta tar kuthe ahe purn karayla

Answered by syedtahir20
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पेशी फती इंद्रिय इंद्रिय -

इंद्रिय के द्वारा हमें बाहरी विषयों - रूप, रस, गंध, स्पर्श एवं शब्द - का तथा आभ्यंतर विषयों - सु:ख दु:ख आदि-का ज्ञान प्राप्त होता है। इद्रियों के अभाव में हम विषयों का ज्ञान किसी प्रकार प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए तर्कभाषा के अनुसार इंद्रिय वह प्रमेय है जो शरीर से संयुक्त, अतींद्रिय (इंद्रियों से ग्रहीत न होनेवाला) तथा ज्ञान का करण हो (शरीरसंयुक्तं ज्ञानं करणमतींद्रियम्)।

इंद्रिय को संस्कृत भाषा में 'करण' भी कहते हैं। इंद्रिय शरीर का वह अवयव है, जिसके द्वारा हम कोई काम करते हैं या कोई ज्ञान प्राप्त करते हैं। मुंह, हाथ, लिंग, गुदा और पैर-- ये पांच कर्मेंद्रियों हैं। इनके द्वारा हम स्थूल कर्म किया करते हैं। ये भी बाहरी इंद्रियां कहलाती हैं। इन कर्मेंद्रियों में से प्रत्येक के द्वारा लगभग भिन्न-भिन्न ही काम लिया जाता है। मुंह से भोजन करने और बोलने का काम करते हैं। मुंह के अंतर्गत दांत, होस्ट, तालु, मूर्धा, कंठ, आदि आ जाते हैं। जिह्वा रस (स्वाद) इंद्रिय का गोलक है । बोलने और भोजन करने में सहायक होने के कारण यह जिह्वा भी मुंह कर्मेंन्द्रिय के अंदर आ जाती है। हाथ से प्रायः किसी पदार्थ को पकड़ने तथा छोड़ने का काम करते हैं। सांसारिक कामों में इसकी बड़ी उपयोगिता सिद्ध होती है। लिंग से मूत्र-वीर्य आदि का त्याग होता है। गुदा से अपान वायु और मल का विसर्जन होता है। पैर से मुख्यतया चलने का काम होता है। कर्मेंद्रियों के कर्म वायु के द्वारा होते हैं; क्योंकि चलना, बोलना, बल करना पसरना और सिकुड़ना वायु की प्रकृतिया बतलाए गए हैं।

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