3. पूजा सामग्री में कौन से अपशिष्ट पदार्थ नदियों में डाले जाते हैं? इस कचरे को निपटाने का कोई और
तरीका बताइए।
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Explanation:
अपशिष्ट प्रबंधन भारत में बहुत बड़ी समस्या का रूप ले चुका है क्योंकि शहरीकरण, औद्योगिकरण और आर्थिक विकास के परिणाम स्वरूप शहरी कूड़े-करकट की मात्रा बहुत बढ़ गई है। बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या और लोगों के जीवन स्तर में सुधार से यह समस्या और भी जटिल हुई है। देश में ठोस कूड़े-करकट का समुचित निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (प्रबंधन और निपटान) नियमावली, 2000 और पुनर्गठित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2000 अधिसूचित किए हैं। देश के विभिन्न भागों में इस दिशा में पहल की जा रही हैं। लेकिन ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से सम्बन्धित मसलों के व्यापक समाधान के लिए अब भी बहुत-कुछ किया जाना बाकी है।
पूजा सामग्री में कौन से अपशिष्ट पदार्थ नदियों में डाले जाते हैं? इस कचरे को निपटाने का कोई और तरीका
पूजा सामग्री में अपशिष्ट के रूप में नदियों में फूल मालाएं, पूजा में चढ़ाए गए चावल, धूपबत्ती, अगरबत्ती के टुकड़े आदि जैसे अपशिष्ट पदार्थ डाले जाते हैं। इन अपशिष्ट पदार्थ में फूल मालाओं की मात्रा सबसे अधिक होती है। इसके अतिरिक्त पूजा के कपड़े, भगवान के फोटो, मूर्तियां आदि भी अपशिष्ट पदार्थों के रूप में नदियों में डाले जाते हैं। इन सारे अपविष्ट पदार्थों में फूल मालाओं की संख्या सबसे अधिक होती है। इनको नदियों में डालने से बचने के लिए इनके निपटान के लिए जगह-जगह निर्माल्य कलश जैसे कलश स्थापित किए जाते हैं, जहां पर पूजा सामग्री को डाला जा सकता है।
बाद में इस अपविष्ट पूजा सामग्री का रीसायकल करके खाद के रूप में परिवर्तित कर लिया जाता है। आजकल ऐसी मशीनें आ गई है पूजा के फूलों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लेती हैं और इस चूर्ण का उपयोग खाद के रूप में किया जा सकता है। इस तरह पूजा सामग्री को नदियों में न डालकर सरकार द्वारा बनाये गये विशिष्ट स्थानों पर जाला जाये जिससे नदियां प्रदूषित न हों। इन विशिष्ट स्थानों पर पूजा सामग्री का सम्मानित तरीके के पुनर्चक्रीकरण (रीसायकल) किया जाता है, जिससे लोगों की धार्मिक आस्था भी आहत नही होती।