History, asked by moresarika281, 12 days ago

3) पानिपतच्या लढाईचे परिणाम लिहा.​

Answers

Answered by ankita784938
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Explanation:

प्रचंड मनुष्यहानी : पानिपतच्या तिस-या लढाईत प्रचंड जिवितहानी झाली. पानिपतच्या तिस-या युद्धात मराठ्यांचे प्रचंड सैन्य मारले गेले. महाराष्ट्रामधील एक कर्ती पिढी पुर्णपणे नष्ट झाली. संपुर्ण महाराष्ट्र भर दु:खाची छाया पसरली.

Answered by jpravin203
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Answer:

पानीपत के तृतीय युद्ध के परिणाम-

 पानीपत का तीसरा युद्ध भारतीय इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध के परिणाम के विषय में इतिहासकारों में पर्याप्त मतभेद है। सभी मराठा इतिहासकार इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस युद्ध में 45 हजार मराठा सैनिक मारे गए, किन्तु उनके लक्ष्य को कोई विशेष हानि नहीं पहुँची। मराठा इतिहास के विशेषज्ञ सरदेसाई ने लिखा है, "इस युद्ध में मराठा जनशक्ति का विनाश अवश्य हुआ, किन्तु यह विनाश उनकी शक्ति का अन्तिम निर्णायक नहीं था। वास्तव में इस युद्ध ने लम्बे समय बाद महान् जाति के प्रसिद्ध पुरुष नाना फड़नवीस और महादजी को चमका दिया, जो कि प्रलयंकारी दिन बड़ी आश्चर्यजनक रीति से मृत्यु से बचकर निकल गए थे और उन्होंने मराठों के पूर्व गौरव को पुनर्जीवित किया था। पानीपत के इस युद्ध में हुआ विनाश दैवीय प्रकोप के समान था। इसने मराठों की जीवन शक्ति को नष्ट कर दिया, 

किन्तु इससे उनके राजनीतिक जीवन का अन्त नहीं हो पाया। यह मान लेना कि पानीपत के विनाश ने मराठों के सार्वभौमिकता के स्वप्न को सदा के लिए नष्ट कर दिया था, परिस्थिति को ठीकठीक न समझना है, जैसा कि तत्कालीन लेखों से ज्ञात होता है।" उक्त मत के विरोध में अपना मत प्रस्तुत करते हुए यदुनाथ सरकार ने लिखा है कि "इतिहास के पक्षपात रहित अध्ययन से ज्ञात होता है कि मराठों का यह जोरदार दावा निर्मूल है। इसमें सन्देह नहीं कि मराठा सेना ने निर्वासित मुगल सम्राट को 1772 ई. में अपने पूर्वजों के सिंहासन पर फिर से आसीन किया था, किन्तु वे उस समय न तो राज्य निर्माता हुए और न मुगल साम्राज्य के वास्तविक शासक, वरन् उनकी स्थिति तो नाममात्र के मन्त्रियों तथा सेनापतियों जैसी थी। इस प्रकार का गौरवपूर्ण पद तो केवल 1780 ई. में महादजी सिन्धिया और 1803 ई. में अंग्रेज ही प्राप्त कर पाए थे।" 

उपर्युक्त दोनों मतों के अध्ययन से पता चलता है कि यदुनाथ सरकार का मत अधिक उपयुक्त एवं सत्य है। फिर भी पानीपत के तीसरे युद्ध में पराजय से मराठों को भीषण हानि हुई। संक्षेप में, इस युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

(1) अपार जनशक्ति का विनाश - 

इस युद्ध में मराठों की अपार जनशक्ति नष्ट हो गई। लगभग 45 हजार सैनिक इस फुद्ध में काम आए। एक लाख व्यक्तियों में से केवल कुछ हजार व्यक्ति ही अपनी जान बचाकर महाराष्ट्र पहुँच, होता था, जिसका काम लगान वसूल करना था। प्रमुख नगरों में एक कोतवाल भी होता था, जिसका काम नगर में शान्ति तथा व्यवस्था बनाए रखना था।

 (2) पेशवा के प्रभाव का अन्त-

इस युद्ध में मराठों की पराजय ने पेशवा के प्रभाव का अन्त कर दिया और मराठा संघ की एकता नष्ट होने लगी। मराठों में, पारस्परिक संघर्ष एवं कलह होने के कारण उनकी शक्ति को गहरा आघात पहुँचा। पेशवा इन मराठों को अपने नियन्त्रण में न कर सका और धीरे-धीरे उसकी शक्ति कम होती गई।

(3) उत्तरी भारत में मराठों का प्रभाव समाप्त होना - 

पानीपत की पराजय से उत्तरी भारत में मराठों का प्रभाव पूर्णतया समाप्त हो गया। दोआब तथा पंजाब. प्रदेश उनके हाथ से निकल गए। --

(4) अंग्रेजों का उत्थान - 

मराठों की पराजय ने अंग्रेजों के उत्थान में विशेष योगदान दिया, क्योंकि अब भारत में कोई शक्तिशाली जाति न रही, जो अंग्रेजों का मुकाबला कर सकती। अतएव अंग्रेजी शक्ति का बड़ी तेजी से उत्थान आरम्भ "हो गया।

(5) मुगलों का पतन- 

पानीपत के युद्ध ने मुगलों को भी पतन के गर्त में धंकेल दिया। उनमें अब इतनी शक्ति नहीं रह गई थी कि वे अंग्रेजों का सामना करने में सफल हो सकते।

(6) नैतिक प्रभाव - 

पानीपत की पराजय ने मराठों की मान और प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया। उनकी अजेय शक्ति का कोई मूल्य नहीं रह गया और दूसरे राज्य उनकी मित्रता को प्राप्त करने में संकोच करने लगे।

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