3. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए, जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
Answers
Answer:
फादर बुल्के भारत ना होते हुए भी हिंदी से असीम लगाव रखते थे। वे हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। उन्होंने हिंदी में पढ़ाई की और वे उन लोगों से नाराज थे जो हिंदी बोलने को शर्मनाक समझते थे। फादर बुल्के ने कोलकाता से b.a. करने के बाद हिंदी में m.a. इलाहाबाद से किया उन्होंने प्रमाणिक हिंदी अंग्रेजी शब्दकोश तैयार किया। और मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ब्लू बर्ड का हिंदी में नील पक्षी नाम से रूपांतरण किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रामकथा उत्पत्ति एवं विकास पर शोध्र प्रबंध लिखा। परिमल नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने। इसी से पता चलता है कि फादर बुल्के हिंदी से असीम प्रेम करते थे।
: Required Answer
फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट करने वाले प्रसंग निम्नलिखित हैं
फ़ादर बुल्के ने कोलकाता से बी०ए० करने के बाद हिंदी में एम०ए० इलाहाबाद से किया।
उन्होंने प्रामाणिक अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश तैयार किया।
मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का हिंदी में ‘नील पंछी’ नाम से रूपांतरण किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ‘रामकथा-उत्पत्ति एवं विकास’ पर शोध प्रबंध लिखा।
परिमल नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने।
वे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलवाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।