Hindi, asked by annikaamar018, 8 months ago

3)पक्षी पंखों की होड़ा-होड़ी कहाँ करना चाहते हैं?
R
० पहाड़ों पर
समुद्र के ऊपर
जंगलों में
O सीमाहीन क्षितिज में

Answers

Answered by shishir303
0

सही उत्तर है...

➲ सीमाहीन क्षितिज में

स्पष्टीकरण ⦂

➤ पक्षी पंखों की होड़ा-होड़ी को सीमाहीन क्षितिज में करना चाहते हैं।

‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कविता में कवित शिवमंगल सिंह सुमन इन पंक्तियों में के माध्यम से स्पष्ट करते हैं...

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी|

अर्थात पंछी कहना चाहते हैं कि इस सीमाहीन क्षितिज के साथ हम अपने पंखों की प्रतिस्पर्धा करते हैं और हम इस प्रतिस्पर्धा में उस सीमाहीन क्षितिज तक पहुंच जाते हैं, नहीं तो हम अपने प्राण छोड़ देते हैं।

स्पष्ट है कि पक्षी सीमाहीन क्षितिज के साथ अपने पंखों की होड़ा-होड़ी करना चाहते हैं।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Answered by anucoolshrivastava
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Answer:

होती सीमाहीन क्षितिज से

इन पंखों की होड़ा-होड़ी,

या तो क्षितिज मिलन बन जाता

या तनती साँसों की डोरी।

नीड़ न दो, चाहे टहनी का

आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो,

लेकिन पंख दिए हैं, तो

आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

व्याख्या -कविता में पंछी कहते हैं कि यदि हम आजाद होते तो सीमाहीन आकाश की सीमा को पार कर लेते। हमारे पंखों की उड़ान से आकाश की क्षितिज की प्रतिस्पर्धा होती।इस प्रतिस्पर्धा में हम आकाश की ऊँचाईयों को माप पाते या हमारे प्राण पंखेरू उड़ जाते।पंछी कहते हैं कि हमें भले ही रहने का स्थान न दो ,हमारे घोसलों को नष्ट कर डालो। किन्तु हम पंछी हैं। उड़ना ही हमारा काम है। अतः हमारे नैसर्गिक अधिकार अर्थात उड़ने में बंधन मत बांधों।

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