3.
पदानां वर्णविच्छेदं कुरुत । (पदों का वर्ण विभाजन कीजिए)
उदा. - व्यजनम् + य् + अ + ज् + अ + + अ+म्
2 माला-
3.
वातायनम्
4.
सौचिक:-
4. उचितपदं चित्वा रिक्तस्थानं पूरयत । (खालीस्थान पूरा कीजिए) 4
(सिंहा:
फलन्ति चक्राणि, गायतः)
1.
बालिके
विकसन्ति।
4.
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Explanation:
स्वर या अच् वे ध्वनियाँ हैं जिन का उच्चारण अन्य ध्वनियों की सहायता के बिना हो सकता है। स्वर का अर्थ है ऐसा अक्षर जिसका उच्चारण स्वयं होता है।
संस्कृत भाषा में सामान्यतः निम्न तेरह (13) स्वर कहे जाते हैं:
अ (a), आ (a), इ (i), ई , उ (oo), ऊ (oo) ऋ (r), ऋ , ल (Ir) ए (e), ऐ (ai). ओ (0), औ (au)।
स्वरों का वर्गीकरण (Classification of vowels)
उच्चारण कला या मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं
1. ह्रस्व (Short): इनके उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय (One unit of time) लगता है। ह्रस्व स्वर पाँच हैं–
अ, इ, उ, ऋ, लु।
ये पाँचों मूलस्वर भी कहलाते हैं तथा इनके उच्चारण में कम-से-कम समय लगता है।
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anajsgsgvevececececegehehehejheebbebrjyyt
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