3) राजा भोज कोणाच्या मताशी सहमत नव्हता ?
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राजा भोज परमार या पंवार वंश के नवें राजा थे। [1] परमार वंशीय राजाओं ने मालवा की राजधानी धारानगरी (धार) से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उनमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उन्होंने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उन्होंने मालवा के नगरों व ग्रामों में बहुत से मंदिर बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है।
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या राजाचा राजेंद्र चोलाने पराभव केला: युतीचा भाग म्हणून भोला यांनी चोल मोहिमेमध्ये दुय्यम भूमिका बजावली असावी. 11 व्या शतकात गझनीच्या महमूदच्या नेतृत्वाखाली तुर्की वंशाच्या मुस्लिम वंशातील गझनवीडांनी उत्तर-पश्चिम भारतावर आक्रमण केले.
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