3 साहित्य भवन 2 चल एवं अचल पूंजी (Fixed and Floating Capital) A, B और C एक फर्म में साझेदार हैं। ये उस अनुपात में लाभालाभ बांटते हैं जो वर्ष के प्रारम्भ में उनकी पूंजी में होता है। उन्हें प्रति वर्ष लाभों के अपने अनुमानित भागों में से 6,000 ₹, 5,000 ₹ और 4,000 ₹ क्रमशः आहरण करने का अधिकार है। इन राशियों से यदि अधिक राशि आहरण की जाती है तो इसे उनके द्वारा फर्म को किया गया अग्रिम माना जाता है और इस आधिक्य पर 6% प्रति वर्ष की से ब्याज लगाया जाता है। वर्ष के प्रारम्भ में जो पूंजियां होती हैं, उन पर 5% प्रति वर्ष की दर से ब्याज लगाया जाता है। वर्ष के प्रारम्भ में साझेदारों की पूंजियां: A 80,000 ₹, B 60,000 ₹ और C 40,000 ₹ थीं। उनके चालू खातों की क्रेडिट वाकियां: A 2,304 ₹, B 3,728 ₹ और C 1,152 ₹ थीं। वर्ष में उनके आहरण A 10,000 ₹, B12,000 ₹ और 5,000 ₹थे। उपर्युक्त वर्णित व्याज के लिए समायोजन करने से पूर्व वर्ष के लिए फर्म के लाभ 30,096 ₹ थे। साझेदारों के पूंजी खाते और चालू खाते बनाइए तथा लाभ-हानि नियोजन खाता भी बनाइए।
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