3. साना-साना
| हाथ जोडि...
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मधु कांकरिया जी ने इस पाठ में
अपनी सिक्किम की यात्रा का वर्णन किया है। एक बार वे अपनी मित्र के साथ सिक्किम की
राजधानी गंगटोक घूमने गयी थीं। वहां से वे यूमधांग, लायुंग और कटाओ गयीं। उन्होंने
इस पाठ में सिक्किम की संस्कृति और वहां के लोगों के जीवन का विस्तार से वर्णन
किया है। पाठ में हिमालय और उसकी घाटियों का भी सुंदर वर्णन किया गया है। लेखिका
वहां की बदलती प्रकृति के साथ अपने को भी बदलता हुआ महसूस करती हैं। वे कभी
प्रकृति प्रेमी, कभी एक विद्वान्, संत या दार्शनिक के समान हो जाती हैं। लेखिका पर
इस यात्रा का गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने इस पाठ का नाम, एक नेपाली युवती की बोली
हुई प्रार्थना से लिया। साना साना हाथ जोड़ी का अर्थ है - छोटे छोटे हाथ जोड़कर
प्रार्थना करती हूँ। इस पाठ में प्रदूषण के बारे में बताया गया है। इसमें हमें सिक्किम
के लोगों की कठिनाइयों के बारे में भी पता चलता है।
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