(3) सिद्धार्थ ने घायल हंस की रक्षा कैसे की ?
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एक महान सन्यासी बनेगा पंरतु बुद्ध के पिता राजा शुद्धोधन
को यह बात अच्छी नहीं लगी। वे अपने पुत्र को एक महान
राजा के रूप में देखना चाहते थे न कि एक सन्यासी। वे नहीं
चाहते थे कि उनका पुत्र फ़कीरों का जीवन जिए इसलिए
सिद्धार्थ के रहने की व्यवस्था विलासिता से पूर्ण की गई ।
उन्हें तरह तरह की सुख सुविधाओं से रखा गया । दुख की
अनुभूति तक न होने दी पंरतु एक सन्यासी के लक्षण तो
बचपन में ही दिख जाता है। वे बचपन से ही शांत और सरल
स्वभाव के थे। दया और करूणा तो उनके मन में कूट -कूट
करकें भरी है थी । अक्सर सिद्धार्थ एकांत में जाकर
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