Hindi, asked by nitinsachin8425, 1 month ago

3) 'साधू संसार त्यागी होते हैं ' इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए:​

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Answered by durgagandharva
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Answer:

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इन साधुओं को हठ साधक कहते हैं। ये जो सोच लेते हैं, उसी कार्य को साधना का रूप दे देते हैं। वैष्णव संप्रदाय के वैरागी साधु सुबह शैव साधुओं की तरह भस्म धारण करते हैं और जटा बढ़ाए रखते हंै। त्यागी अखाड़े के साधु तेज धूप में अग्नि प्रज्ज्वलित कर तपस्या करते हैं।

Explanation:

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Answered by bhatiamona
0

'साधू संसार त्यागी होते हैं ' इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए:

साधु संसार त्यागी होते हैं, क्योंकि साधु का तात्पर्य है सज्जन व्यक्ति और सज्जन व्यक्ति बनने के लिए बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है। साधु बनने के लिए अपने अंदर के लालच, क्रोध, भय, हिंसा, लोभ, गुस्सा, ईर्ष्या, द्वेष, वैमनस्य, कामुकता। आलस्य। प्रमाद जैसे अवगुणों का त्याग करना पड़ता है।

संसार में रहकर इन सभी अवगुणों से बच पाना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि सांसारिक व्यक्ति सांसारिक कार्यों में लिप्त होने के कारण कहीं ना कहीं इन दुर्गुणों से ग्रस्त हो ही जाता है। इन सभी अवगुणों से निजात पाने के लिए आवश्यक है कि इन सभी अवगुणों का त्याग दिया जाए। इसीलिए साधु बनने के लिए संसार को त्याग करना पड़ता है। लोभ और मोह को खोना पड़ता है। वही व्यक्ति साधु बन पाता है जो लोभ-मोह से रहित है, जिसने अपनी सभी दुर्गुणों पर विजय पा ली है।

जो संसारी भौतिकता से निर्लिप्त है, वही साधु है, इसीलिए हम कह सकते हैं कि साधु संसार त्यागी होते हैं।

#SPJ3

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साधु: का विलोम शब्द क्या हैं संस्कृत में?

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साधु का महत्त्व निम्न में से किस चीज से है ?

उसके कपड़ों से

उसकी जाति से

उनके ज्ञान से

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