3. स्वामी द्वारा व्यवसाय में लगाई गई पूंजी के कारण उसे ऋणदाता माना जाता है-
(अ) पृथक वैधानिक अस्तित्व की मान्यता
(ब) लागत अवधारणा
(स) मौद्रिक मापन की मान्यता
(द) पूर्ण प्रकटीकरण की मान्यता
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पूर्ण प्रकटीकरण की मान्यता
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