3. सभा प्रश्नाक उत्तर क्रमानुसार प्रश्र1 निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए | (1x4%34) भारतवर्ष में कभी भी भौतिक वस्तुओं के संग्रह को बहुत अधिक महत्व नहीं दिया है ।उस की दृष्टि से मनुष्य के भीतर जो महान आंतरिक गुण फिर भाग से बैठा हुआ है वही चरण और परम है। लोभ मोह काम क्रोध आदि विचार मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहते हैं पर उन्हें प्रधान शक्तिमान लेना और अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना बहुत बुरा आचरण है। भारतवर्ष में कभी भी उन्हें उचित नहीं माना ।उन्हें सदा संयम के बंधन से बांधकर रखने का प्रयत्न किया है परंतु भूख की उपेक्षा नहीं की जा सकती बीमार के लिए दवा की उपेक्षा नहीं की जा सकती गुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती। (क) पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए । (ख) भारतवर्ष में कैसी वस्तुओं के संग्रह को अधिक महत्व नहीं दिया जाता? (ग) किसको प्रधान शक्तिमान लेना बुरा होता है? ) (घ) किस की उपेक्षा नहीं की जा सकती?
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- भारतवर्ष मे भौतिक वस्तूओ के संग्रह को अधिक महत्व नही दिया जाता
- बुध्दी को उन्ही के इशारो पर छोड देना बहुत बुरा होता है
- भुख की उपेक्षा,बिमार के लिये दवा की उपेक्षा,गुगुमराह को ठीक रास्ते पर ले जाने के उपायों की उपेक्षा नहीं की जा सकती
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