Hindi, asked by saudmanbahadur77, 3 months ago

3.
सहसंबंध लिखिए।
(i) रेशम- सी : देह :: जुड़वाँ
(i) रीडर : अणिमा जोशी :: कामवाली
दम कथन पर अपने विच​

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Answered by davkumar3149
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Answer:

सिर्फ जिस्म नहीं हूँ मैं : मोनिका जैन ‘पंछी’

कितनी अजीब है न मेरी दास्तान? मेरी शिक्षा, स्वतंत्रता, सम्मान, सत्ता, सुरक्षा और संपत्ति के अधिकारों के लिए वर्षों से चिंतन हो रहा है, आन्दोलन हो रहे हैं, मेरे जीवन में बहुत कुछ बदल रहा है। मेरे पक्ष में एक प्रगतिशील जन चेतना का माहौल बन रहा है। लेकिन एक चीज जो तब से लेकर आज तक नहीं बदली, वह है मुझे देह समझा जाना। सारी आज़ादी, सारे अधिकार और सारे सम्मान उस समय बिल्कुल फीके पड़ जाते हैं, जब मेरा अस्तित्व दुनिया की चुभती निगाहों में सिर्फ एक जिस्म भर का रह जाता है।

टपकती वासना से भरी लालची आँखें मुझे हर गली, नुक्कड़ और चौराहे पर घूरती रहती है। भीड़ में छिप-छिपकर मेरे जिस्म को हाथों से टटोला जाता है। राह चलते मुझ पर अश्लील फब्तियां कसी जाती है। मेरा बलात्कार कर मुझे उम्र भर के लिए समाज के तानों से घुट-घुट कर जीने को मजबूर कर दिया जाता है। मुझ पर तेजाब फेंक कर अपनी भड़ास और कुंठा शांत की जाती है।

जब भी मेरे साथ होने वाले इन तमाम दुर्व्यवहारों के खिलाफ मैं आवाज़ उठाती हूँ, तो मेरे अस्तित्व को छोटे-बड़े कपड़ों में उलझा दिया जाता है। फिर से मुझे कपड़ों से झांकती देह बना दिया जाता है। पर उन मासूम बच्चियों का क्या? उनके साथ किये गए दुराचरण का क्या? क्या वे नन्हें-मुन्हें किसी भी प्रकार की उकसाहट का कारण बन सकते हैं? क्या ऊपर से नीचे तक कपड़ों में ढकी औरत कटाक्ष नज़रों, अश्लील इशारों और फब्तियों से बच पाती है?

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