3. सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अ) सीधा तना हुआ, अपने प्रभुत्व की साकार कठोरता,
अभ्रभेदी उन्मुक्त शिखर इन क्षुद्र कोमल निरीह लताओं
और पौधों को इसके चरण से लौटना ही चाहिए।
(ब) नख-धर मनुष्य अब एटम-बम पर भरोसा करके आगे
की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़
रहे हैं। अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले
अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वह याद दिला
देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता।
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(अ) सीधा तना हुआ, अपने प्रभुत्व की साकार कठोरता,
अभ्रभेदी उन्मुक्त शिखर इन क्षुद्र कोमल निरीह लताओं
और पौधों को इसके चरण से लौटना ही चाहिए।
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