3. सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात्, एषः धर्मः सनातनः॥
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सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् ।
नासत्यं च प्रियं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः ॥
सत्य और प्रिय बोलना चाहिए; पर अप्रिय सत्य नहीं बोलना और प्रिय असत्य भी नहीं बोलना यह सनातन धर्म है ।
Explanation:
सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥
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हिन्दी में सरलार्थं
सच बोलना चाहिए,प्रिय बोलना चाहिए,अप्रिय सच नही बोलना चाहिए और प्रिय झूठ नही बोलना चाहिए।यही शाश्वत(सदा से चला आ रहा) धर्म(आचार) है।
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