3 'ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
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'ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
इन पंक्तियों का काव्य सौंदर्य इस प्रकार है...
भाव सौंदर्य ➲ इन पंक्तियों में भक्ति की पराकाष्ठा प्रकट हुई हैं। गोपिया कृष्ण के प्रेम आसक्त होकर उनके मुट्ठी भर मट्ठे के लिये नाच नचा रही हैं। जब भक्त भगवान के रूप लावण्य पर आसक्त होकर अपनी भक्ति को रूप-लावण्य केंद्रित होता है, तो वहाँ रूपासक्ति प्रकट होती है।
शिल्प सौंदर्य ➲ पंक्ति में ‘छोहरियाँ, छछिया, छाछ’ तथा नाच नचावत शब्दों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है। पंक्ति में श्रंगार और भक्ति रस का समन्वय है। ब्रज भाषा का प्रयोग हुआ है, तथा तद्भव शब्दो की प्रयुक्ति हुई है।
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'ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावत' का काव्य सौन्दर्य :
- काव्य सौंदर्य हम किसी भी कविता के सौंदर्य के वर्णन करने हेतु लिखते हैं । इसमें हम काव्य में प्रोयोग हुई भाषा , अलंकार , रस आदि के बारे में बताते हैं।
- इन पंक्तियों में अलंकार के प्रयोग ने काव्य की सौंद्रता को बढ़ाया हैं। इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ हैं । जैसे : छोहरियाँ छछिया छाछ में छ की आवृत्ति हुई हैं , वहीं नाच नचावत में न की ।
- इन पंक्तियों में संगीतात्मकता का प्रयोग किया हैं , जो काव्य को और भी सुंदर और सुरीला बनाता हैं।
- इन पंक्तियों में श्रृंगार और भक्ति रस का समावेश हैं । यहां कवि भक्ति की पराकाष्ठा प्रकट कर रहे हैं।
- इसकी भाषा ब्रज भाषा हैं।
- और इसमें तद्भव शब्दों का प्रयोग किया हैं , वह शब्द जो संस्कृत से उत्पन्न हुए हो।
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