3. 'तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो।' कविता की इन पंक्तियों में किस तरह के लोगों को
संबोधित किया गया है और इनकी तुलना किससे की गई है?
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Answer:
मोती व्यर्थ बहाने वालो !
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है? नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी,
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालो।
डूबे बिना नहाने वालो !
कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।
माला बिखर गयी तो क्या है
ख़ुद ही हल हो गई समस्या,
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या,
रूठे दिवस मनाने वालो !
फटी कमीज़ सिलाने वालो !
कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।
खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी ।
जैसे रात उतार चाँदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालो !
चाल बदलकर जाने वालो !
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।
लाखों बार गगरियाँ फूटीं
शिकन न आई पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं
चहल-पहल वो ही है तट पर
तम की उमर बढ़ाने वालो
लौ की आयु घटाने वालो
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।
लूट लिया माली ने उपवन
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफ़रत गले लगाने वालो !
सब पर धूल उड़ाने वालो !
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है।
- गोपालदास नीरज
साभार - नीरज संचयन, भारतीय ज्ञानपीठ
तम की उमर बढ़ाने वालो! लौ की आयु घटाने वालो।' कविता की इन पंक्तियों में अच्छे व बुरे लोगों को संबोधित किया है । कवि ने बुरे कर्म करने वालों की तुलना तम से की है तथा अच्छे कर्म करने वालों की तुलना लौ से की है।
- कवि नीरज ने " जीवन मरा नहीं करता " कविता के माध्यम से जीवन में बुरे कर्म न करने के लिए अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित किया है।
- कवि कहते है कि आज समाज में बुरे कार्य करने वाले अधिक है तथा अच्छे कर्म करने वाले कम है। कवि ने अच्छे लोगों को लौ की उपमा दी है तथा बुरे लोगों को तम अर्थात अंधकार की उपमा दी है। कवि कहते है कि बुरे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है व अच्छे लोगों की संख्या घटती जा रही है।
- कवि उस कविता में यह संदेश देते है की हमे जीवन में अच्छे कर्म करके जीवन रूपी उपवन को फलने फूलने देना चाहिए।
- कवि ने यह संदेश भी दिया है कि हमें संघर्ष करने से डरना नहीं चाहिए।
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