Hindi, asked by navdeepsingh68, 6 months ago

 3. दोहे छंद में कितनी मात्राएँ होती हैं?​

Answers

Answered by singhishant852
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दोहा - संज्ञा पुलिंग [हिंदी दो + हा (प्रत्यय)]

1. एक हिंदी छंद, जिसमें होते तो चार चरण हैं, पर जो लिखा दो पंक्तियों में जाता है, अर्थात् पहला और दूसरा चरण एक पंक्ति में और तीसरा और चौथा चरण दूसरी पंक्ति में लिखा जाता है । इसके पहले और तचीसरे चरण में 13 - 13 मात्राएँ और दूसरे तथा चौथे चरण में 11 - 11 मात्राएँ होती हैं । दूसरे और चौथे तरण का तुकांत मिलना चाहिए । जैसे, - राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार । तुलसी भीतर बाहिरो, जौ चाहसि उजियार । विशेष - इसी को उलट देने से सोरठा हो जाता है ।

2. संकीर्ण राग का एक भेद ।

Explanation:

दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।

उदाहरण-

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।।

मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय।तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥

हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक: समपाद के अन्तिम स्थान पर स्थित लघु वर्ण को हेमचन्द्र गुरु-वर्ण का मापन देता है. 'अत्र समपादान्ते गुरुद्वयमित्याम्नाय:' यह सूत्र विषद किया है।

मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु

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