3.थाल में लाऊं सजाकर भाल जब भी पंक्ति में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
Answers
Answered by
31
Answer:
Ans :- इस पंक्ति से कवि का तात्पर्य यह है कि जब कभी भी कवि अपने मातृभूमि के लिए अपने प्राण त्यागे तो भारत माता उसे भेट के रूप में स्वीकार कर ले।
By :-
Soumya Singh
Answered by
0
उत्तर:
भाले को थाली में सजाकर कवि का अर्थ है कि वह मातृभूमि के चरणों में अत्यंत श्रद्धापूर्वक समर्पित होना चाहता है।
व्याख्या:
- ये पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक 'मंजरी' से 'समर्पण' कविता से ली गई हैं। इस कविता के कवि रामावतार त्यागी हैं। ऊपर दी गई पंक्तियों में कवि ने देश के प्रति अपनी अनुपम भक्ति व्यक्त की है कि तन-मन-धन-जीवन अर्थात् सब कुछ समर्पित कर कुछ और अर्पित करने की इच्छा की है।
- कवि के हृदय में देश प्रेम का सागर भक्ति से कांप रहा है।
- कवि कहता है कि हे माता! दीन, उसके कर्ज़ से वह बहुत तड़प रहा है; फिर भी विनती है कि जब भी वह आए तो एक थाली में अपना सिर उन्हें समर्पित कर दें; उसे कृपया इसे स्वीकार करना चाहिए! उनका गीत, जीवन और हर रक्त बिंदु उन्हें समर्पित है; फिर भी, हे अपने देश की पुण्य भूमि! वह कुछ और करना चाहता है!
इस प्रकार यह उत्तर है।
#SPJ2
Similar questions