(3) उपर्युक्त पद्यांश की
'विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।'
पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
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high quality of the jaab you have any questions or concerns pleas
DFTYY YOU BABY JAANeRYYGHI
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answer answer nahin hai
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