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विस्तार से उत्तर लिखिए-
क. तिलोनिया में जल-संचयन की क्या व्यवस्था थी? संचित जल का उपयोग किस तरह किया जाता था?
ख. संस्थान द्वारा चलाए जा रहे शिक्षा अभियान के विषय में बताइए।
ग. कठपुतलियों के तमाशों द्वारा निरक्षर ग्रामवासियों को किन समस्याओं के प्रति सचेत किया जाता होगा?
घ. संस्थान किस प्रकार जनतांत्रिक पद्धति से कार्य करता था?
ङ लेखक क्यों चाहता है कि देश में सैकड़ों तिलोनिया उठ खड़े हों?
PLEASE ANSWER THESE QUESTIONS
Answers
क) तिलोनिया गांव राजस्थान का एक छोटा सा गांव है। बारिश की कमी के कारण वहां के लोग पहले पानी समस्या से बहुत परेशान थे। संस्थान के द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई जिससे उनकी पानी की समस्या समाप्त हो गई । जैसे उन्होंने बारिश के पानी को एक तालाब में इकट्ठा किया और उसके बाद उसे साफ करके पीने लायक बनाया उसे पानी द्वारा वह उसे खेती बारी के प्रयोग में भी लाते थे। और सिंचित पानी से वह बिजली भी बनाते थे इस प्रकार उन्होंने पानी की समस्या को जल-संचयन के द्वारा अपने समाज को विकास की राह पर खड़ा कर दिया और अपने समाज का विकास किया ।
*ख)* संस्था द्वारा अनेक रात्रि पाठ शालाओं का आयोजन किया जाता था जिससे कि जो बच्चे लड़की लड़कियां एवं जो पढ़ना चाहते हैं वे पढ़ सके । वह जो खेती बाड़ी का काम करने में दिन में व्यस्त रहते हैं वह रात में समय निकालकर संस्था द्वारा चलाए जाने वाले रात्रि पाठ शालाओं में पढ़ सकते हैं । जिससे कि वे शिक्षित हो सके और आगे बढ़ सके । उन्होंने कई पुस्तकालयों का निर्माण किया जिसमें सैकड़ों पुस्तके मिलती थी व्यक्ति कभी भी आकर उन पुस्तकों का आनंद उठा सकता था ।
*ग)* कठपुतली का तमाशा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा एक मनोरंजक तरीके से बड़े विषय को पूरे गांव वालों के सामने रखा जा सकता था । बड़े से बड़े विषय को कठपुतली के माध्यम से लोगों तक पहुचाया जा सकता था और वह उनका सबसे सक्षम माध्यम था ।वहां के लोग तमाशा देखने आते थे और जो पढ़े लिखे नहीं थे उन्हें कठपुतली के तमाशे द्वारा सब समझ जाते थे । वो समझते थे और सचेत होते थे और अपना विकास करते थे ।