Hindi, asked by royalrajputyr9, 1 month ago

3. विसर्ग सधेः उदाहरणम् अस्ति-
अ) निष्कपटः
स) शिवालयः
ब) नयनम्
द) सदैव​

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Answered by snehapandey142004
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Answer:

Explanation:

विसर्ग ( ः ) महाप्राण सूचक एक स्वर है। ब्राह्मी से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत हैं। उदाहरण के लिये, रामः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि में अन्त में विसर्ग आया है।

जैसे आगे बताया गया है, विसर्ग यह अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; वह केवल स्वराश्रित है। विसर्ग का उच्चारण विशिष्ट होने से उसे पूर्णतया शुद्ध लिखा नहीं जा सकता, क्योंकि विसर्ग अपने आप में ही किसी उच्चारण का प्रतीक मात्र है ! किसी भाषातज्ज्ञ के द्वारा उसे प्रत्यक्ष सीख लेना ही जादा उपयुक्त होगा।  

सामान्यतः  

विसर्ग के पहले हृस्व स्वर/व्यंजन हो तो उसका उच्चारण त्वरित ‘ह’ जैसा करना चाहिए; और यदि विसर्ग के पहले दीर्घ स्वर/व्यंजन हो तो विसर्ग का उच्चारण त्वरित ‘हा’ जैसा करना चाहिए।

विसर्ग के पूर्व ‘अ’कार हो तो विसर्ग का उच्चारण ‘ह’ जैसा; ‘आ’ हो तो ‘हा’ जैसा; ‘ओ’ हो तो ‘हो’ जैसा, ‘इ’ हो तो ‘हि’ जैसा... इत्यादि होता है। पर विसर्ग के पूर्व अगर ‘ऐ’कार हो तो विसर्ग का उच्चारण ‘हि’ जैसा होता है।

विसर्ग के दो सहस्वनिक होते हैं-

केशवः = केशव (ह)

बालाः = बाला (हा)

भोः = भो (हो)

मतिः = मति (हि)

चक्षुः = चक्षु (हु)

देवैः = देवै (हि)

भूमेः = भूमे (हे)

पंक्ति के मध्य में विसर्ग हो तो उसका उच्चारण आघात देकर ‘ह’ जैसा करना चाहिए।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।  

विसर्ग के बाद अघोष (कठोर) व्यंजन आता हो, तो विसर्ग का उच्चारण आघात देकर ‘ह’ जैसा करना चाहिए।

प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः।  

विसर्ग के बाद यदि ‘श’, ‘ष’, या ‘स’ आए, तो विसर्ग का उच्चारण अनुक्रम से ‘श’, ‘ष’, या ‘स’ करना चाहिए।

यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्विषैः।

यज्ञशिष्टाशिन(स्)सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्विषैः।  

धनंजयः सर्वः = धनंजयस्सर्वः

श्वेतः शंखः = श्वेतश्शंखः

गंधर्वाः षट् = गंधर्वाष्षट्

‘सः’ के सामने (बाद) ‘अ’ आने पर दोनों का ‘सोऽ’ बन जाता है; और ‘सः’ का विसर्ग, ‘अ’ के सिवा अन्य वर्ण सम्मुख आने पर, लुप्त हो जाता है।

सः अस्ति = सोऽस्ति

सः अवदत् = सोऽवदत्  

विसर्ग के पहले ‘अ’कार हो और उसके पश्चात् मृदु व्यंजन आता हो, तो वे अकार और विसर्ग मिलकर ‘ओ’ बन जाता है।

पुत्रः गतः = पुत्रो गतः

रामः ददाति = रामो ददाति  

विसर्ग के पहले ‘आ’कार हो और उसके पश्चात् स्वर अथवा मृदु व्यंजन आता हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है।

असुराः नष्टाः = असुरा नष्टाः

मनुष्याः अवदन् = मनुष्या अवदन्  

विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’कार को छोडकर अन्य स्वर आता हो, और उसके बाद स्वर अथवा मृदु व्यंजन आता हो, तो विसर्ग का ‘र्’ बन जाता है।

भानुः उदेति = भानुरुदेति

दैवैः दत्तम् = दैवैर्दत्तम्  

विसर्ग के पहले ‘अ’ या ‘आ’कार को छोडकर अन्य स्वर आता हो, और उसके बाद ‘र’कार आता हो, तो, विसर्ग के पहले आनेवाला स्वर दीर्घ हो जाता है।

ऋषिभिः रचितम् = ऋषिभी रचितम्

भानुः राधते = भानू राधते  

शस्त्रैः रक्षितम् = शस्त्रै रक्षितम्

Answered by pankaj8538
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Answer:

sadiv

Explanation:

d) sadiv --visarg an another example

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